भारत में कुछएक को छोड़ लगभग सभी शहरों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर के पार चला गया है और लगभग हर रोज 35 पैसे महंगा हो रहा है। 4 अक्टूबर 2021 से 25 अक्टूबर तक पेट्रोल की औसत कीमत में यहां 8 रुपये से अधिक की बढ़ोतरी हो चुकी है। आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि दुनिया में सबसे सस्ता पेट्रोल बेचने वाले टॉप-10 देशों में इस दौरान केवल 3 से 40 पैसे की ही बढ़ोतरी हुई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम भले ही बढ़ रहे हों पर श्रीलंका व नेपाल जैसे अपने गरीब पड़ोसी देशों में पेट्रोल महंगा होने के बजाय सस्ता हुआ है।
पाकिस्तान में 3 हफ्ते में केवल 4 रुपये 64 पैसे की ही बढ़ोतरी
वेबसाइट globalpetrolprices.com के ताजा आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान में एक लीटर पेट्रोल की कीमत (25 अक्टूबर 2021) केवल 59.27 भारतीय रुपया थी। जबकि 21 दिन पहले 4 अक्टूबर को यहां पेट्रोल 55.61 भारतीय रुपये प्रति लीटर पेट्रोल बिक रहा था। यानी 3 हफ्ते में केवल 4 रुपये 64 पैसे की ही बढ़ोतरी हुई।
कहीं 3 पैसा बढ़ा तो कहीं 40 पैसा और कहीं कम हो गया दाम
श्रीलंका में पेट्रोल की कीमत 4 अक्टूबर को 68.62 रुपये थी और 25 अक्टूबर को 68.35 रुपये प्रति लीटर पर आ गई। यानी यहां पेट्रोल महंगा होने के बजाय 27 पैसे सस्ता हो गया। भूटान जैसे गरीब देश में भी पेट्रोल की कीमत 4 अक्टूबर को केवल 77 रुपये लीटर थी। 25 अक्टूबर को यहां पेट्रोल 81.54 रुपये लीटर पर पहुंच गया। यानी 21 दिनों में भूटान में पेट्रोल 4.54 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ। अगर नेपाल की बात करें तो यहां 4 अक्टूर को एक लीटर पेट्रोल की कीमत 81.51 रुपये थी और 25 अक्टूबर को 81.28 रुपये ही रह गई। यानी यहां भी पेट्रोल सस्ता हुआ।
अब बात करते हैं भारत की। www.globalpetrolprices.com पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 4 अक्टूबर 2021 को भारत में पेट्रोल की औसत कीमत 100 रुपये के करीब थी, जो 25 अक्टूबर तक 108.420 रुपये प्रति लीटर हो गई। यानी 21 दिनों में औसतन 8 रुपये से अधिक की बढ़ोतरी।
इन 10 देशों में है सबसे कम पेट्रोल का दाम (25 अक्टूर का रेट)
1) वेनेजुएला में पेट्रोल की कीमत आपकी सोच से भी कम है। यहां एक लीटर पेट्रोल की कीमत पिछले 4 अक्टूबर को 1.49 रुपये थी। 25 अक्टूबर को जारी रेट के मुताबिक अभी यहां कोई भाव नहीं है।
2) दुनिया में सबसे सस्ता पेट्रोल के मामले में दूसरे नंबर पर ईरान का नाम है। यहां 4 अक्टूबर को एक लीटर पेट्रोल 4.46 रुपये में मिल रहा था, लेकिन अब 3 पैसे महंगा होकर 25 अक्टूबर को 4.49 रुपये पर पहुंच गया।
3) अंगोला में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 4 अक्टूर को महज 17.20 रुपये थी, लेकिन 25 अक्टूबर को करीब 3 रुपये बढ़कर 20.10 रुपये पर पहुंच गया।
4) अल्जीरिया में एक लीटर पेट्रोल 25.04 रुपये लीटर था। 21 दिन में यहां 7 पैसे महंगा हो कर 25.11 रुपये पर पहुंच गया।
5) सबसे सस्ता पेट्रोल बेचने वाले देशों में कुवैत का नाम पांचवें स्थान पर आता है। यहां एक लीटर पेट्रोल की कीमत 4 अक्टूबर को 25.97 रुपये थी, 21 दिन में यह बढ़कर 26.13 रुपये पर पहुंच गया। यानी तीन हफ्ते में केवल 16 पैसे की वृद्धि।
6) दुनिया में नाइजीरिया सबसे सस्ता पेट्रोल बेचने वाले मुल्कों में छठवें स्थान पर है। 4 अक्टूबर को यहां एक लीटर पेट्रोल की कीमत 29.93 रुपये थी और 25 अक्टूबर को यहां 30.14 रुपये पर पहुंची, यानी इस अवधि में केवल 21 पैसे की बढ़ोतरी।
7) सस्ता पेट्रोल बेचने वाले देशों में सातवें स्थान पर तुर्कमेनिस्तान का नाम आता है। यहां यहां एक लीटर की कीमत चार अक्टूबर को 32.01 रुपये थी। 21 दिन में यहां 10 पैसा ही पेट्रोल का दाम बढ़ा।
8) कजाकिस्तान: सबसे सस्ता पेट्रोल बेचने वाले मुल्कों में आठवें स्थान पर कजाकिस्तान का नाम है। यहां एक लीटर पेट्रोल की कीमत 34.20 रुपये है।
9) टॉप 10 की लिस्ट में नौवें नंबर पर इथियोपिया का नाम है। यहां पेट्रोल की कीमत 4 अक्टूबर को 34.70 रुपये प्रति लीटर थी, जो 25 अक्टूबर को कम होकर 34.40 रुपये पर आ गई।
10) सबसे सस्ता तेल बेचने वाले मुल्कों की टॉप 10 लिस्ट में आखिरी पायदान पर पिछले 4 अक्टूबर को मलेशिया था। यहां पेट्रोल की कीमत 36.62 रुपये प्रति लीटर थी। अब इस पोजीशन पर कजाकिस्तान का नाम है और 25 अक्टूबर को यहां पेट्रोल का दाम 34.74 रुपये पर आ गया। जबकि, मलेशिया 37.04 रुपये प्रति लीटर के साथ 11वें स्थान पर है। 21 दिन में यहां पेट्रोल केवल 42 पैसे ही बढ़ा।
भारत में क्यों महंगे हैं पेट्रोल-डीजल
तेल की महंगाई के पीछे दो सबसे बड़े कारण है। पहला कच्चा तेल और दूसरा टैक्स। भारत में पेट्रोल-डीजल पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारें भारी टैक्स वसूलती हैं। वैट और एक्साइज ड्यूटी मिलाकर करीब 60 फीसद से ज्यादा टैक्स है। इसके अलावा पाकिस्तान और बांग्लादेश समेत ज्यादातर दक्षिण एशियाई देशों में पेट्रोल-डीजल पर 45 से 60 फीसद तक टैक्स है, इस कारण यहां कीमतें कुछ दिनों में लगातार बढ़ी हैं।
ईंधन पर लगने वाले टैक्स की समीक्षा करे सरकार
एसबीआई की रिपोर्ट में सरकार से ईंधन पर लगने वाले करों की समीक्षा करने की सलाह दी गई है। इसकी वजह यह बताई गई है कि देश के 57.2 करोड़ लोग अभी भी असंगठित अर्थव्यवस्था से जुड़े हुए हैं। अगर हम एक परिवार में पांच लोग मानते हैं तो कर देने वालों की तदाद करीब 11.4 करोड़ बैठती है, जो देश में कर देने वालों के बराबर हैं। गरीबी रेखा से नीचे के लोगों की खपत के लिए समायोजन करते हुए, ये 11.4 करोड़ टैक्स देने वाले परिवार आबादी का 8.5% निजी अंतिम उपभोग व्यय का 65% योगदान करते हैं। ऐसे में अगर सरकार ईंधन पर लगने वाले करों की समीक्षा करती है तो इस बड़ी आबादी को लाभ मिलेगा।
उपभोक्ताओं को और परेशान करेंगी कीमतें
ओमान, दुबई और ब्रेंट के औसत का प्रतिनिधित्व करने वाले कच्चे तेल की इंडियन बास्केट की कीमत पिछले साल अप्रैल में कोरोनोवायरस महामारी की पहली लहर के दौरान गिरकर 19.90 डॉलर हो गई थी। इसने केंद्र सरकार को पेट्रोल और डीजल पर टैक्स को तेजी से बढ़ाने का मौका दिया, जिससे उत्पाद शुल्क वित्त वर्ष 2021 में सरकारी खजाने में प्रमुख योगदानकर्ताओं में से एक बन गया। जब तक टैक्स में कटौती नहीं की जाती है तेल की कीमतों में कोई भी बढ़ोतरी उपभोक्ताओं को और परेशान करेगी।