varanasi : छठ व्रत के नियम बहुत ही कठिन होते हैं। लेकिन छठ मैया के भक्त फिर भी पूरी श्रद्धा से ये पूजा करते हैं। मान्यता है कि छठ मइया का व्रत रखने वाले व विधि-विधान से पूजा करने वाले दम्पति को संतान सुख मिलता है।
साथ ही परिवार सुख-समृद्धि आती है। छठ पूजा का व्रत सूर्य देव को समर्पित होता है जो मुख्य रूप से तीन दिनों तक चलता है। पहले दिन नहाए खाय से शुरू होकर चौथे दिन सुबह उगते हुए सूर्य को अर्ध्य देकर ही ये व्रत संपूर्ण होता है।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक छठी मैया को ब्रह्मा की मानसपुत्री और भगवान सूर्य की बहन माना गया है. छठी मैया निसंतानों को संतान प्रदान करती हैं. इसके अलावा संतानों की लंबी आयु के लिए महिलाएं यह पूजा करती हैं. पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा को यह व्रत रखने और पूजा करने की सलाह दी थी. दरअसल महाभारत के युद्ध के बाद अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे का वध कर दिया गया. तब उसे बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा को षष्ठी व्रत (छठ पूजा) का रखने के लिए कहा.
छठ पूजा का पहला दिन
8 नवंबर, सोमवार को नहाय खाय के साथ छठ पूजा का प्रारंभ होगा। इस दिन जो लोग व्रत करते हैं वो स्नान आदि करने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। इसके बाद ही वो छठी मैया का व्रत करते हैं। इस दिन व्रत से पूर्व नहाने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करना ही नहाय-खाय कहलाता है। मुख्यतौर पर इस दिन व्रत करने वाला व्यक्ति लौकी की सब्जी और चने की दाल ग्रहण करता है।
छठ पूजा का दूसरा दिन
इस बार 9 नवंबर, मंगलवार को छठ पूजा का दूसरा दिन रहेगा। इसे खरना कहते हैं। खरना के दिन व्रती दिन भर व्रत रखते हैं और शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर साठी के चावल और गुड़ की खीर बनाकर प्रसाद तैयार करते हैं। फिर सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद व्रती महिलाएं इस प्रसाद को ग्रहण करती हैं। उनके खाने के बाद ये प्रसाद घर के बाकी सदस्यों में बांटा जाता है।
छठ पूजा का तीसरा दिन
10 नंवबर, बुधवार को छठ पूजा का तीसरा दिन है। इस दिन व्रती छठी मइया की पूजा करते हैं और डूबते सूर्य को अर्ध्य देकर जल्दी उगने और संसार पर कृपा करने की प्रार्थना करते हैं। अस्त होते सूर्य को 3 बार अर्ध्य दिया जाता है। अर्घ्य देने से पहले सूर्यदेव को कई चीजें चढ़ाई जाती हैं जैसे केला, गन्ना, नारियल और अन्य फल।
छठ पूजा का चौथा दिन
11 नवंबर, गुरुवार को व्रती उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं और इसी के साथ छठ पूजा का समापन हो जाता है। मान्यता है कि इस प्रकार व्रत पूर्ण करने से छठ मैया और सूर्यदेव की कृपा हम पर बनी रहती है और परिवार पर किसी तरह की कोई विपत्ति नहीं आती। इसे व्रत से संतान सुख की कामना भी की जाती है।