नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई शुरू हो गई है। कल मध्य प्रदेश कांग्रेस ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बीजेपी पर कांग्रेस के 16 विधायकों अपहरण कर बंधक रखने का आरोप लगाया। कहा कि कोर्ट इनकी रिहाई सुनिश्चित करे। अर्जी में कहा गया है कि इन विधायकों की गैरमौजूदगी में विश्वास मत नहीं हो सकता। अगर 22 विधायकों ने इस्तीफा दिया है तो पहले उनकी सीट पर दोबारा चुनाव हो, क्योंकि इन विधायकों के इस्तीफे का मकसद सरकार को गिराना है। अर्जी में फ्लोर टेस्ट कराए जाने के गवर्नर के आदेश पर सवाल उठाया गया है। कहा गया है कि गवर्नर पहले से ही ये मानकर चल रहे हैं कि कमलनाथ सरकार अल्पमत में है। यह याचिका विधानसभा में कांग्रेस के चीफ व्हिप गोविंद सिंह के नाम से दायर की गई है। इसके साथ ही कांग्रेस ने मामले को संविधान पीठ को सौंपने की मांग की। कांग्रेस के वकील दुष्यंत दवे ने राज्यपाल के रवैये पर सवाल उठाया। कहा, राज्यपाल बिना किसी को सुने कैसे दावा कर सकते हैं कि सरकार ने बहुमत खो दिया है। दुष्यंत दवे ने कहा कि मध्य प्रदेश की जनता ने कांग्रेस पर भरोसा किया और 114 सीट दी जबकि भाजपा को 109 सीट मिली। पिछले 18 महीनों से संतुलित सरकार राज्य में चल रही थी। स्पीकर को सबसे पहले यह सुनिश्चित करने का मौका दिया जाना चाहिए कि इस्तीफे सही हैं एवं स्वेच्छा से और बिना किसी दबाव के दिए गए हैं। जब 16 विधायक गैर मौजूद हैं तो शक्ति परीक्षण कैसे हो सकता है।
इस बीच मध्य प्रदेश मामले में कांग्रेस के 16 बागी विधायकों में से 1 विधायक के भाई की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार किया। सीजेआई एस.ए. बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने याचिकाकर्ता को उचित फोरम में जाने की इजाजत दी। कांग्रेस विधायक मनोज चौधरी के भाई बलराम चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मनोज को पेश करने और रिहा करने की मांग की है।