भारत के प्रमुख रक्षा आपूर्तिकर्ता के रूप में अमेरिका को चुनौती देने के लिए रूस ने कसी कमर


राष्ट्रहित को प्राथमिकता देते हुए अंतर्विरोधों का प्रबंधन करना ही मोदी सरकार के विदेश नीति की प्रमुख विशेषता रही है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत आगमन इसका जीवंत उदाहरण है। हालिया सालों में भारत के चीन के साथ खराब होते संबंध और अमेरिका से बढ़ती नजदीकी को देखते हुए इस यात्रा का महत्व और भी बढ़ जाता है। राष्ट्रहित को प्राथमिकता देते हुए अंतर्विरोधों का प्रबंधन करना ही मोदी सरकार के विदेश नीति की प्रमुख विशेषता रही है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अगले महीने होने जा रही भारत यात्रा इसका जीता-जागता उदाहरण है। हाल के वर्षों में भारत के चीन से बिगड़ते संबंध और अमेरिका से बढ़ती नजदीकी को देखते हुए इस यात्रा का महत्व और भी बढ़ जाता है। 

मोदी-पुतिन की मुलाकात

आगामी 6 दिसबंर को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे पर आ रहे हैं। इसके साथ ही  6 दिसंबर को भारत और रूस का 2+2 डॉयलाग होगा। भारत के विदेश व रक्षा मंत्री व रूस के विदेश व रक्षा मंत्री के बीच जब ये बातचीत होगी तो बहुत सारे ऐसे समझौते हैं  चाहे वो एस-400, एके 203 व अन्य रक्षा सौदे पर मुहर लग सकती है। भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों की  बात करें तो नई दिल्ली ने 2007 से वाशिंगटन के साथ 21 बिलियन डॉलर से अधिक के रक्षा सौदे किए हैं। जबकि रूस भारत के साथ लंबे समय से चली आ रही विशेष रणनीतिक साझेदारी पर जोर देना चाहता है। संयोग से  रूस ने 1960 के दशक की शुरुआत से भारत को $65 बिलियन से अधिक की सैन्य बिक्री की है। 

रूस से होने वाली कई डील “अंतिम चरण” में है

रूस रक्षा उत्पादन में भारत की आत्मनिर्भरता को लेकर भी छोड़ा भयभती है, लेकिन यह दिल की बात हो सकती है। लेकिन ये तो सच है कि इसी दिशा में कदम आगे बढ़ाते हुए यूपी के अमेठी जिले में कोरवा आयुध कारखाने में छह लाख से अधिक एके -203 कलाश्निकोव राइफलों के निर्माण के लिए लंबे समय से लंबित 5,124 करोड़ रुपये की परियोजना के लिए आखिरकार रास्ता साफ हो गया है। रूस से VSHORADS लेने वाली डील भी अब “अंतिम चरण” में है। फ्रांस और स्वीडिश प्रणालियों के मुकाबले चुनी गई कंधे से दागी जाने वाली रूसी विमान भेदी मिसाइल प्रणाली IGLA-S को विमान, हेलीकॉप्टर और ड्रोन जैसे दृश्यमान दुश्मन लक्ष्यों के खिलाफ उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार सेना को 5,000 से अधिक ऐसी मिसाइलों, लांचरों और संबंधित उपकरणों की आवश्यकता है। पुराने सिंगल-इंजन वाले चीता और सेना (135) और भारतीय वायुसेना (65) के चेतक हेलिकॉप्टरों को लगभग 2 बिलियन डॉलर में बदलने के लिए 200 ट्विन-इंजन कामोव-226T हल्के हेलीकॉप्टरों के लिए लंबे समय से लंबित परियोजना तकनीकी मूल्यांकन चरण में अटकी हुई है।