अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन वर्चुअली मीटिंग करने वाले हैं। लेकिन रूसी राष्ट्रपति पुतिन से बातचीत से पहले बाइडेन ने चीन को भी बड़ा संदेश दिया। वाशिंगटन ने बीजिंग विंटर ओलंपिक के राजनयिक बहिष्कार का ऐलान किया है। अमेरिका ने चीन के शिनजियांग प्रांत में मानवाधिकार के उल्लंघन पर अगले साल होने वाले बीजिंग विंटर ओलंपिक के बॉयकाट का फैसला लिया है। व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिका ने राजनयिक प्रतिनिधिमंडल नहीं भेजने का फैसला लिया है। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी की ओर से कहा गया कि अमेरिकी खिलाड़ी प्रतियोगिताओं में भाग लेंगे और उन्हें हमारा पूरा समर्थन मिलेगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा हम खेलों से जुड़े विभिन्न समारोहों का हिस्सा नहीं बनेंगे।
अमेरिका ने क्यों उठाया ये कदम
व्हाइट हाउस की तरफ से आमतौर पर ओलंपिक के उद्घाटन और समापन समारोह में एक प्रतिनिधिमंडल भेजता है। अमेरिका में शीर्ष सासंदों द्वारा राजनयिक बहिष्कार के आह्वान की गई थी। जिसके बाद चीन के शिनजियांग में मानवाधिकारों के हनन और अत्याचार को देखते हुए अमेरिका ने ये कदम उठाया। व्हाइट हाउस की तरफ से कहा गया कि मानव अधिकारों को बढ़ावा देने के लिये हमारी मौलिक प्रतिबद्धता है। हम चीन और उसके बाहर मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए कार्रवाई करना जारी रखेंगे।
चीन की क्या प्रतिक्रिया आई
बाइडेन प्रशासन के इस फैसले पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग तिलमिला गए हैं। चीन के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका को धमकी तक दे दी है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि चीन इस पर जवाबी कार्रवाई करेगा। लेकिन चीन ने इस बात की कोई जानकारी नहीं दी कि वो अमेरिका पर किस तरह का कदम उठाएगा।
भारत का क्या है स्टैंड
भारत-चीन तनावपूर्ण संबंधों के बीच 2022 में बीजिंग में होने वाले शीतकालीन ओलंपिक और पैरा ओलंपिक में भारत ने समर्थन किया है। भारत की तरफ से विंटर ओलंपिक में चीन की मेजबानी का समर्थन किया है। चीन अगले साल होने वाले शीतकालीन ओलंपिक और पैरालंपिक्स की मेजबानी करने वाला है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लवरोफ और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ आभाषी बैठक में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ओलंपिक और पैरालंपिक्स खेलों के आयोजन में चीन का समर्थन किया है। इसको लेकर चीन काफी गदगद हो उठा है।