वाराणसी (काशीवार्ता)। बनास डेयरी काशी संकुल का शिलान्यास समारोह गुरुवार को करखियांव में पीएम मोदी के कर कमलों द्वारा किया जाएगा। जिसमे प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहेंगे। इस परियोजना का उद्देश्य वाराणसी क्षेत्र के किसानों, दुग्ध उत्पादकों को आगे बढ़ाना और उपभोक्ताओं को अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पाद उचित मूल्य पर उपलब्ध कराना है। उक्त बातें अमूल डेयरी के चेयरमैन शंकर भाई चौधरी ने करखियांव में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान कहीं। श्री चौधरी ने कहा कि बनासकांठा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड, जिसे बनास डेयरी नाम से जाना जाता है, सहकारी संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1969 में गुजरात सहकारी समिति नियम के अंतर्गत, देश में श्वेत क्रांति लाने के लिए की गयी थी। बनास डेयरी प्रति दिन औसतन 68 लाख लीटर दूध एकत्र करती है। जो एशिया में सबसे अधिक है।
मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के रूप में बनाई पहचान: अमूल ने गुजरात में को-आॅपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के रूप में भी अपनी पहचान बनाई है, जो भारत का सबसे बड़ा डेयरी खाद्य उत्पाद संगठन है और गुजरात में बनास डेयरी समेत 17 जिला स्तरीय दूध सहकारी संघों ने मिलकर उत्पादों के विपणन हेतु इसे गठित किया है। 1946 में स्थापना के बाद से 75 वर्षों में एक लंबा सफर तय किया है। जुलाई 2021 में बनास डेयरी ने मोडल डेयरी फार्मिंग के लिए वाराणसी में किसान परिवारों को सर्वश्रेष्ठ गौवंश की सौ देशी गायें उपलब्ध कराई थी। इन किसानों को गोपालन और डेयरी फार्म प्रबंधन प्रशिक्षण दिया गया और पशु पालन के लिए सतत मार्गदर्शन की व्यवस्था की गई है। वर्तमान में वाराणसी के 119 स्थानों से 25 हजार लीटर से अधिक दूध प्रतिदिन एकत्रित किया जाता है।
हजारों परिवारों को मिलेगा रोजगार का अवसर
बनास डेयरी लखनऊ व कानपुर के बाद वाराणसी में अपना तीसरा संयंत्र स्थापित कर रही है। इसकी प्रति दिन 5 लाख लीटर की क्षमता होगी, जिसे 10 लाख लीटर प्रति दिन तक बढ़ाया जा सकेगा। 475 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ 30 एकड़ भूमि में इस प्लान्ट को बनाया जा रहा है। इस प्लांट से वाराणसी, जौनपुर, मछलीशहर, चंदौली, भदोही, गाजीपुर, मिजार्पुर और आजमगढ़ के पूर्वांचल क्षेत्र के एक हजार गांवों के स्थानीय किसानों को लाभ होगा। तथा इस परियोजना के शुरू होने से लगभग साढ़े सात सौ लोगों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार के साथ ही 10 हजार परिवारों को गाँवों में रोजगार मिलने की सम्भावना है। लगभग 1.75 लाख दुग्ध उत्पादकों के बैंक खातों में डिजिटल प्रणाली
से वर्ष 2020-21 के लाभांश के तहत 35.19 करोड़ रुपये हस्तांतरण भी करेंगे।