चिर पुराण व चिर नवीन काशी का दस्तावेज है काशीनामा


वाराणसी(काशीवार्ता)। राजकीय जिला पुस्तकालय में डॉ सीमांत प्रियदर्शी की काशी पर केंद्रित पुस्तक ‘काशीनामा’ का लोकार्पण किया गया। समारोह के अध्यक्ष डॉ जितेंद्रनाथ मिश्र ने कहा कि काशी का वैशिष्ट्य अनंत है। उसके बारे में जितना भी कहा जाय, कम है। इस नगरी को और अच्छी तरह से जानना काशीनामा का उद्देश्य है। समीक्षक डॉ रामसुधार सिंह ने डॉ सीमान्त प्रियदर्शी की रचना-प्रक्रिया का वैशिष्ट्य बताते हुए ‘काशीनामा’ के संदर्भ को रेखांकित किया। प्रो सुरेंद्र प्रताप ने कहा कि काशी पर बहुत कुछ लिखा गया है। हिंदी से अधिक तो अंग्रेजी में किताबें लिखी गई हैं। काशी एक तिलस्म है। पूरी दुनिया मानती है कि काशी से बेहतर शहर दुनिया में और कोई दूसरा नहीं है। डॉ इंदीवर ने कहा कि काशी चिर- पुराण और चिर नवीन दोनों है। यह पुस्तक काशी की यात्रा कराती है। पूर्व न्यायाधीश डॉ चन्द्रभाल सुकुमार ने कहा कि इस समय काशीनामा जैसी पुस्तक का प्रकाशन काशी के गौरवमय इतिहास का अनुपम दस्तावेज है। प्रो श्रद्धानंद ने काशी के साहित्यिक परिदृश्य के सम्बंध में विचार व्यक्त करते हुए कहा कि काशी की रचनाओं में काशीनामा का स्थान सदैव रहेगा। डॉ अत्रि भारद्वाज , डॉ प्रदीप कुमार, मनोज श्रीवास्तव, सनातनी रामानंद आदि ने भी विचार व्यक्त किया। इस अवसर वरिष्ठ गीतकार सुरेंद्र वाजपेयी, शिवकुमार पराग, प्रसन्न वदन चतुवेर्दी, राजन सिंह ने अपने गीतों के माध्यम से काव्य गोष्ठी को समृद्ध किया। कार्यक्रम का संचालन एवं पुस्तक परिचय लेखक डॉ सीमान्त प्रियदर्शी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन पुस्तकालयाध्यक्ष कंचन सिंह परिहार ने किया। संयोजन ऋचा प्रियदर्शिनी ने किया। संगोष्ठी में श्रीमती विमला देवी, शालिनी सहाय, महेश श्रीवास्तव, पूजा मिश्रा आदि की उपस्थिति खास रही।