छत्तीसगढ़ में काली मिर्च उगाकर सबको चौंकाया


(सुशील सिंह)
जसपुर (काशीवार्ता)। अघोरेश्वर भगवान राम की तपोस्थली छत्तीसगढ़ राज्य के जसपुर जिले में 108 पर्वतमालाओं के मध्य अघोरमत को मानने वाले लाखों-लाख श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र, दिव्य शक्तियों से अलौकिक, मानव सेवा की अटूट मिसाल बाबा भगवान राम ट्रस्ट द्वारा संचालित सोगड़ा आश्रम ने एक ऐसा कमाल कर दिखाया है जिसकी परिकल्पना भी कभी किसी ने इस राज्य में नहीं की थी। चाय-काफी की खेती में चमत्कार के बाद अब आश्रम ने काली मिर्च व दालचीनी की खेती सफलतापूर्वक कर दक्षिण भारत के राज्यों का वर्चस्व तोड़ दिया है।
जानकारी के अनुसार आश्रम में पांच साल पूर्व यह तय हुआ कि मसालों का सरताज काली मिर्च की खेती का प्रयास करना चाहिए। इस निमित्त कोलकाता से काली मिर्च के 25 पेड़ मंगाए गए तथा उन्हें चाय बगान के बीच में लगाया गया। चाय बगान भी आश्रम का ही एक आश्चर्यचकित कर देने वाला प्रयोग है। पेड़ लगाने के कुछ समय बाद ही चाय बागान में काली मिर्च की बेले लहलहाने लगी। साल में दो बार इन बेलों से काली मिर्च निकाली गई जो लगभग आठ से दस किलो थी। चाय बगान लगभग आठ एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है, इसी में काली मिर्च के पेड़ अब परिश्रम का फल दे रहे हैं।


जानकारों का कहना है कि जसपुर की जलवायु काली मिर्च के लिए काफी उपयुक्त है। यहां दिन से लेकर रात तक तापमान 42 डिग्री से लेकर माइनस तक चला जाता है जो काली मिर्च की खेती के लिए काफी उपयुक्त है। साल में 1500 मिमी. से लेकर 2000 मिमी. तक बारिश भी होती है। यहां मिट्टी में कीड़े-मकोड़े भी कम पाए जाते हैं जो कि चाय की खेती के लिए भी काफी अच्छा है। जानकार बताते हैं कि काली मिर्च की खेती में न्यूनतम रख-रखाव की जरुरत पड़ती है। सिर्फ गाय के गोबर की खाद से मिट्टी उपजाऊ हो जाती है। आश्रम में दालचीनी की भी खेती होती है। काली मिर्च व दालचीनी यहां काफी उच्च गुणवत्ता की हो रही है, जिसकी खेती जुलाई-अगस्त में होती है।
अब आश्रम की कोशिश स्थानीय आदिवासी लोगों को काली मिर्च व दालचीनी की खेती के लिए प्रशिक्षित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। आश्रम में दर्जनों आदिवासी महिलाएं काम करती हैं। उन्हें इसकी खेती के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। आश्रम इन महिलाओं को उचित पारिश्रमिक भी दे रहा है। इन कार्यों के अलावा आश्रम कुष्ठ रोगियों की सेवा में भी इतिहास रच चुका है, बनारस में कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए समूह का नाम गिनीज बुक व लिम्का बुक आॅफ रिकार्ड में दर्ज है। असम्भव को सम्भव में बदलने की प्रेरणा आश्रम में काम करने वालों को बाबा भगवान राम ट्रस्ट एवं श्री सर्वेश्वरी समूह के अध्यक्ष औघड़ गुरुपद सम्भव राम जी के सानिध्य से ही प्राप्त हो रहा है।