(अजीत सिंह) गाजीपुर (काशीवार्ता)। जिले की सबसे हाट सीट में शुमार मुहम्मदाबाद विधानसभा में इस बार अंसारी बंधुओं एवं अलका राय परिवार के उत्तराधिकारियों के बीच सीधे सियासी जंग होने के आसार दिख रहे हैं। दोनों परिवारों की तरफ से उत्तराधिकारियों के लिए ही टिकट मांगे जा रहे हैं। पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी के पुत्र सोएब ऊर्फ मन्नू अंसारी को लेकर परिवार में सहमति बन गई है। साथ ही भाजपा विधायक अलका राय अपने पुत्र पीयूष राय को चुनाव लड़ाना चाहती है, लेकिन उनके भतीजे आनंद राय मुन्ना अपने चाची को स्व. कृष्णानंद राय की 2016 में मनीं शहादत दिवस में उस घोषणा की याद दिलाकर पीयूष राय के उत्तराधिकार पर सवाल खड़ा कर दे रहे हैं, जिसमें विधायक ने कहा था कि मेरे भतीजे आनंद राय मुन्ना मेरे उत्तराधिकारी होंगे। इसको लेकर दोनों चचेरे भाइयों में सियासी शीत युद्ध चरम पर पहुंच गया है। दोनों के अपने अलग अलग तर्क हैं।
वर्ष 2017 में अलका राय पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी को परास्त करके भाजपा से दूसरी बार विधायक बनीं। अब 2022 के चुनाव की गूंज चारों ओर सुनाई दे रही है। चुनाव आयोग ने आचार संहिता लागू करके विभिन्न दलों की सीमाएं निर्धारित कर दी हैं। मुहम्मदाबाद में अभी भी सियासी तपिश इस कड़ाके ठंड में सर्वाधिक महसूस की जा रही है। बसपा सांसद अफजाल अंसारी के बड़े भाई एवं पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी एवं उनके पुत्र मन्नू अंसारी सपा में हैं और टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। हालांकि इस विधानसभा के माली और समाजवादी बगिया सींचने वाले राजेश राय भी टिकट को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं। उन्हें अखिलेश का आश्वासन मिला है। सूत्रों की मानें तो अंसारी परिवार को अगर यहां से टिकट मिलता है तो यह परिवार युवा नेता मन्नू अंसारी को प्रत्याशी बनाने के लिए आगे करेगा। इसकी सियासी बिछात मन्नू के चाचा एवं सियासत के जादूगर सांसद अफजाल अंसारी ने बिछा दी है। वैसे भी अपने चाचा से मन्नू ने राजनीति का ककहरा काफी हद तक सीख लिया है और सियासत की पिच पर बैटिंग करने के लिए आतुर हैं। वहीं अलका राय के पुत्र पीयूष राय अपनी मां की विरासत को संभालने के लिए खूब दौड़ लगा रहे हैं। वह कई वर्षों से पूरा विधानसभा का कामकाज भी संभाल रहे हैं। मगर उनके चचेरे भाई एवं स्व. कृष्णानंद राय के जीवित रहने तक एवं उनकी शहादत से लेकर आज तक साथ साथ संघर्ष करने वाले भांवरकोल ब्लाक प्रमुख श्रद्धा राय के पति आनंद राय मुन्ना ने भी अपनी दावेदार मजबूत ढंग से पेश की है। चचार्ओं की मानें तो आनंद राय ने ही अंसारियों को हराने के लिए 2017 में अपनी चाची के रथ पर कृष्ण की तरह सवार थे। यही कारण है कि विधायक अलका राय उत्तराधिकार को लेकर पेशोपेश में देखी जा रही हैं।
दोनों परिवारों में धधक रही बदले की आग
मुख्तार अंसारी को लेकर पूरे देश में चर्चित मुहम्मदाबाद विधानसभा में कभी यह भी दौर था कि गोलियों की तड़तड़ाहट से पूरा पूर्वांचल गूंजता था। सियासी हत्याओं का दौर 2010 तक चलता रहा। मुहम्मदाबाद में जब 29 नवम्बर 2005 को बसनिया चट्टी पर विधायक कृष्णानंद राय एवं सात लोगों की हत्या हुई तो पूरा पूर्वांचल थर्रा उठा। तत्कालीन पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान रक्षामंत्री ने इस हत्याकांड की सीबीआई से जांच कराने की मांग की थी। मगर मुलायम सरकार ने सीबीआई जांच का आदेश नहीं दिया। बाद में कोर्ट के हस्तक्षेप पर सीबीआई से जांच हुई और आरोपित बनाए गए मुख्तार सहित एक दर्जन लोगों को भाजपा सरकार के कार्यकाल में सीबीआई ने साक्ष्य के अभाव में दोष मुक्त कर दिया। तब से लेकर आज तक अंसारियों एवं राय परिवार के बीच कहीं न कहीं अभी भी बदले की आग धधक रही है।