पोर्टल पत्रकारों की पृष्ठभूमि की जांच करायी जायेगी: डीसीपी


(आलोक श्रीवास्तव) वाराणसी। राजनीति में अपराधीकरण की बात तो जग-जाहिर है। दरअसल, इनकी बढ़ती संख्या का मुख्य कारण रहा कि नेता अपने प्रतिद्वंदियों को रास्ते से हटाने के लिए बाहुबलियों की मदद लेने लगे। बाद में उन्हीं बाहुबलियों को पार्टी से टिकट दिलाकर सांसद-विधायक बनाया। जिसका परिणाम हुआ कि ग्राम पंचायतों से लेकर संसद तक अपराधियों की पैठ हो गयी। आज कमोवेश यही स्थिति पत्रकारिता में भी हो चली है। संचार क्रांति ने एक ऐसा तूफान लाया कि वर्तमान समय मे कोई भी व्यक्ति एक वेबसाइट के माध्यम से यू-ट्यूब व पोर्टल बनाकर पत्रकार बन जाता है और फिर अपने पोर्टल व यू-ट्यूब चैनल के लिए अनेकों ऐसे लोगों की आईडी बना देता है, जिनको पत्रकारिता का ककहरा भी नहीं आता है। इस सम्बंध में डीसीपी वरुणा आदित्य लांग्हे ने कहा, पत्रकारिता में बढ़ता अपराधीकरण चिंता का सबब बनता जा रहा है। इसके चलते उन पत्रकारों को भी वो सम्मान नहीं मिल पाता है, जिसके वे हकदार हैं। डीसीपी ने कहा मीडिया संस्थानों को चाहिए कि पत्रकार की नियुक्ति से पहले उनके बैकग्राउंड की जांच जरूर करा लें। देखा यह जा रहा है कि एक ही पत्रकार थाना क्षेत्रों में समाचार कवरेज करता है। जबकि संस्थानों द्वारा जारी आईडी पर यह स्पष्ट अंकित होना चाहिए कि उक्त पत्रकार किस थानाक्षेत्र के लिए अपने संस्थान में कार्य कर रहा है। डीसीपी ने कहा कि कचहरी व आसपास के क्षेत्रों में पत्रकारों की टोलियां दिनभर टहलती रहती हैं। ये किस संस्थान से जुड़े हैं, स्पष्ट नहीं हो पाता। कहा, उच्चकाधिकारियों से अनुमति प्राप्त कर ऐसे पत्रकारों की जांच कराई जायेगी। यदि किसी के आपराधिक इतिहास की जानकारी होती है तो सम्बंधित मीडिया संस्थान को अवगत कराते हुए कार्रवाई की जायेगी। उनका कहना था कि निश्चित तौर पर मीडिया की जरूरत देश को है, लेकिन संचार क्रांति में लोगों में खबरों की बेतहाशा बढ़ती भूख ने इस स्तंभ को कमजोर किया है।