कश्मीर की सर्द हवाओं ने लहुरीकाशी का माहौल गरमाया


(अजीत सिंह )
गाजीपुर (काशीवार्ता)। कश्मीर की वादियों से बह रही सर्द हवाओं ने लहुरीकाशी का सियासी पारा गरमा दिया है। कड़ाके की ठंड में अच्छे अच्छे सियासतदानों के चेहरे पर पसीने की बूंद साफ दिखाई देने लगी हैं। भाजपा टिकट बंटवारे में कश्मीर वाले साहेब की पसंद एवं नापसंद का खूब ख्याल रख रही है। यही कारण है कि मऊ वाले शर्मा जी से जहां पूर्वांचल की करीब तीन दर्जन सीटों के दावेदारों के बारे में जानकारी हासिल की जा रही है तो जिले में कश्मीर वाले साहेब भी अपनी सियासी हनक 2022 के चुनाव में प्रत्याशियों के चयन में बनाने में कामयाब होते दिख रहे हैं। ऐसा समझा जा रहा है कि अभी यह सर्द हवाओं का झोका जिले में और सिहरन पैदा करेगा।
2017 के विधानसभा चुनाव में जिले की पांच सीटों पर भाजपा और उसके सहयोगी दल के खाते में यहां की सीटें गई थीं। जबकि दो सीटों पर सपा ने जंगीपुर और सैदपुर अपने पाले में करने में कामयाब रही। अब सैदपुर के विधायक सुभाष पासी को भाजपा अपने पाले में कर ली है। इस लिहाज से भाजपा को एक बार फिर अपनी पांच जीती हुई सीटों पर कब्जा करने की चुनौती होगी। पिछले चुनाव में भाजपा ने उनकी पसंद के तीन महिलाओं के साथ अन्य सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। मगर 2019 में उनके चुनाव हारने के बाद भाजपा ने उन्हें कश्मीर की वादियों में भेज दिया। फिर भी उनका सियासी कद घटने की बजाय बढ़ता ही चला गया। वहीं टिकट के दावेदार जब भी माता रानी के दर्शन करने वहां जाते थे, तब माता रानी के आशीर्वाद के बाद साहेब का भी आशीर्बाद लेने से नहीं चूकते थे। भले ही तीन दिन क्यों न लग जाए। यहां के करीब दो दर्जन लोगों ने अब तक वहां जाकर आशीर्वाद लिया और लहुरीकाशी की सियासी गणित को समय समय पर समझाते रहे। जब साहेब दिसंबर में आए तो उनके यहां टिकट के दावेदारों का मानों जलसा लगा हो। वहां सभी गए थे आशीर्वाद लेने, मगर महाराज के युवराज की टीम ने कभी आशीर्वाद नहीं लिया। जबकि युवराज जब भाजपा में शामिल हुए तो साहेब की अंगुली पकड़कर यहां तक पहुंचे।
बीच में यह भी चर्चा रही कि साहेब को हराने में उनका ही योगदान रहा। खैर छोड़िए…। अब युवराज महाराज के करीबी हो गए हैं। उन्हें साहेब की जरूरत भी कहां है। इधर विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद टिकट को लेकर भाजपा में मंथन का दौर जारी है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि अगर पार्टी ने इस सप्ताह टिकट फाइनल नहीं किया तो अगले सप्ताह हरहाल में प्रत्याशियों की घोषणा हो जाएगी, जिसका महीनों से इंतजार था।
पिछले दिनों कश्मीर की वादियों में भी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने फोन की घंटियां बजाई थीं। जिसमें यहां के टिकट के दावेदारों की प्रोफाइल की जानकारी ली गई। साथ ही यह भी पूछा गया कि तीनों देवियों का जनाधार बढ़ा है या फिर बदलने की कोई गुंजाइश बची है। हालांकि साहेब ने क्या जवाब दिया, यह तो किसी को पता नहीं। मगर साहेब की पसंद वाले चेहरे जहां खुश हैं, वहीं नापसंद वाले चेहरों पर कश्मीर की वादियों की ठंडक ने उन्हें जरूर परेशान किया है।