31 को खुलेगी रोप वे की निविदा


वाराणसी। जिले में एंफीबियस प्लेन को गंगा नदी में उतारने की तैयारियों के बीच अब रोप वे को धरातल मिलने की तैयारी चल रही है। लंबे समय से मेट्रो के विकल्प के तौर पर रोप वे को चलाने की कोशिश को इस माह के अंत तक जमीन मिलने जा रही है। जी हां! बहु प्रतीक्षित रोप वे परियोजना वाराणसी में 31 जनवरी के बाद टेंडर खुलते ही आकार लेने लगेगी। वाराणसी इसी के साथ देश में पहलाा शहर होगा जहां रोप वे के जरिए यातायात शुरू किया जा रहा है। रोप-वे का फाइनल डीपीआर तैयार करके उसे शासन को भेजा जा चुका है। फाइनल ड्राफ्ट में रोप -वे का तय रूट कैंट, साजन तिराहा, रथयात्रा होते हुए गिरिजाघर तक तय किया गया है। ड्राफ्ट के तहत नगर निगम तिराहे से रथयात्रा के बीच में रोप -वे अंग्रेजी के डब्ल्यू आकार में टर्न लेगा। कैंट स्टेशन से गिरिजाघर तिराहे के बीच प्रत्येक डेढ़ मिनट पर ट्राली से यात्री आगे का सफर कर सकेंगे। इस पूरी परियोजना की फिजिबिलिटी रिपोर्ट वैपकास ने सौंपी है जिसका फाइनल ड्राफ्ट शासन को भेज दिया गया है। यातायात की संजीवनी के रूप में तैयार हुई रोपवे परियोजना शीघ्र ही धरातल पर उतरेगी। कैंट स्टेशन स्थित पंडित कमलापति त्रिपाठी इंटर कालेज के सामने से रोपवे परियोजना की शुरूआत होगी। शहर में करीब 45 मीटर ऊंचाई से गुजरने वाले रोपवे को साजन तिराहा, सिगरा, रथयात्रा, लक्सा होते हुए गिरिजाघर पर पहुंचाया जाएगा। पांच किलोमीटर लंबी इस परियोजना पर खर्च होने वाले 424 करोड़ रुपये का पूरा खाका भारत सरकार की सहयोगी कंपनी वैपकॉस ने तैयार की है। वाराणसी विकास प्राधिकरण पूरी परियोजना की नोडल एजेंसी है। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर वैपकास और वीडीए के बीच संसाधनों की उपलब्धता के लिए एग्रीमेंट किया गया है। रोपवे परियोजना के करीब पांच किलोमीटर लंबे रूट पर 220 ट्राली के संचालन का प्रस्ताव दिया गया है। एक समय में इसमें एक हजार से ज्यादा यात्री सफर कर पाएंगे। इसमें पूरे दिन में 20 से 25 हजार यात्रियों को सुगम यातायात की सुविधा होगी। कैंट, साजन तिराहा, रथयात्रा और गिरिजाघर चौराहे पर रोपवे स्टेशन के लिए जमीन चिह्नित की गई है। इस पर थोड़ी बाधा भी बताई गई है।