(अजीत सिंह)
गाजीपुर (काशीवार्ता)। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जंगीपुर विधानसभा से चौथी बार पूर्व पंचायती राज मंत्री स्व. कैलाश यादव के परिवार पर भरोसा जताया है। भारी विरोध के बावजूद एक बार फिर 2022 के रण में उतरने का मौका देकर वीरेंद्र को बड़ा तोहफा दिया है। अखिलेश के इस फैसले से वीरेंद्र के विरोधी एक तरह से चित हो गए हैं। अब देखना होगा कि क्या वीरेंद्र अखिलेश के साथ ही जनता का भरोसा जीत पाएंगे। अगर जनता ने भरोसा जताया तो वे यदुवंशियों के बड़े स्थापित नेता कहे जाएंगे। साथ ही सरकार बनीं तो उन्हें सबसे पहले अखिलेश मंत्री भी बनाएंगे।
जमानियां से दो बार और जंगीपुर विधानसभा से एक बार विधायक डा. कैलाश यादव के निधन के बाद उनकी पत्नी स्व. किसमतिया देवी को उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया गया था। उस समय डा. वीरेंद्र यादव जिला पंचायत अध्यक्ष हुआ करते थे। उपचुनाव में किसमतिया देवी विधायक बनने में कामयाब रहीं। जब 2017 का विधानसभा चुनाव आया तो उस समय भाजपा की लहर चल रही थी। चेयरमैन होने के बावजूद डा. वीरेंद्र यादव को सपा अध्यक्ष ने टिकट दिया और वह विधायक बने। इस चुनाव में डा. वीरेंद्र यादव को 71441 वोट मिले थे। वहीं भाजपा के रामनरेश कुशवाहा 68202 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे। इसके साथ ही मनीष पांडेय 67223 वोट पाकर तीसरे स्थान पर चले गए थे। चेयरमैन चुनाव में जिला पंचायत सदस्यों ने लिखित रूप से डा. वीरेंद्र यादव की शिकायत की थी और आरोप लगाया था कि चेयरमैनी के चुनाव में उन्होंने पार्टी लाइन से हटकर काम किया है। इसको लेकर अखिलेश नाराज भी थे। ऐसी चर्चा थी कि इस बार जंगीपुर विधायक का टिकट कटेगा। मगर पूर्वांचल में बढ़ रहे भाजपा के दखल के कारण अखिलेश ने किसी भी प्रकार का कोई रिस्क विरोध के बावजूद न लेते हुए एक बार फिर डा. वीरेंद्र यादव को मैदान में उतारा है। अब सवाल उठता है कि क्या वीरेंद्र यादव सपा में अपने विरोधियों को मना पाएंगे। या फिर भितरघात होगा। इसकी अंदरखाने जबरदस्त चर्चा हो रही है। उधर बसपा ने डा. मुकेश को मैदान में उतारकर पहले से ही वीरेंद्र के सामने चुनौती पेश कर दी है। 2017 के चुनाव में वीरेंद्र सवर्ण जातियों का वोट पाने में कामयाब हुए थे, मगर 2022 के चुनाव में सवर्ण उम्मीदवार के मैदान में उतरने से इन वोटों को अपने पाले में करने में वीरेंद्र को चुनौती मिल सकती है।
अगर सवर्ण वोट नहीं भी चढ़े तो इस बार ओमप्रकाश राजभर के सपा के साथ आने पर वीरेंद्र को राजभरों का वोट करीब 10 हजार उनके खाते में प्लस होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इस लिहाज से जंगीपुर की लड़ाई वीरेंद्र के लिए 2017 से अधिक कठिन मानी जा रही है। सब कुछ अब भाजपा उम्मीदवार के मैदान में आने पर निर्भर करेगा।