(अजीत सिंह)
गाजीपुर (काशीवार्ता)। वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव में सपा के कद्दावर नेता एवं पूर्व मंत्री को जमानियां विधानसभा से चुनाव हराने वाली भाजपा की तेज तर्रार विधायक सुनीता सिंह पर एक बार फिर भाजपा ने भरोसा जताया है। उन्हें जिले में सबसे पहले टिकट देकर भाजपा ने एक तरह से उनका कद बढ़ाते हुए यह इशारा किया कि अगर सरकार बनी तो उन्हें योगी कैबिनेट के पहले मंत्रिमंडल में जगह देकर मंत्री बनाया जाएगा। सुनीता के टिकट से जमानियां का सियासी मिजाज सर्द हवाओं में भी गरम हो गया है। जगह जगह मिठाइयां बंट रही हैं। ढोल नगाड़े बज रहे हैं। हर तरफ सुनीता की ही चर्चा हो रही है। गहमर गांव की बहू एवं भाजपा नेता परीक्षित सिंह की पत्नी सुनीता सिंह का परिवार तीन पीढ़ियों से जनसंघ से जुड़ा है। उनका परिवार पूर्व में चुनाव भी लड़ा और अटल जी के करीब भी रहा। सुनीता सिंह ने पार्टी में 2014 के बाद जिला मंत्री के रूप में अपनी सियासी पारी की शुरूआत की थी। इससे पहले वह अपने पति के कार्यों में हाथ बंटाने के साथ ही खेती से मुनाफा भी कमाती थी। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें जमानियां से उम्मीदवार बनाया, जब वह मैदान में उतरीं तो विरोधी दावा करते थे कि उनकी जमानत नहीं बचेगी, मगर उन्होंने जीतकर इतिहास रचा। 2017 के चुनाव में सपा प्रत्याशी ओमप्रकाश सिंह तीसरे नंबर पर पहुंच गए। उन्हें 49 हजार 557 मिले थे। दद्दन यादव के बेटे करतार सिंह यादव ने 12 हजार 206 मत प्राप्त किया। वहीं, पहली बार चुनाव लड़ रहे बीएसपी उम्मीदवार अतुल राय को 67 हजार 559 मत हासिल हुए थे। इस चुनाव में बीजेपी की सुनीता सिंह 76 हजार 823 वोट पाकर विजयी रहीं। विधायक बनने के बाद सुनीता सिंह ने बदहाल जमानियां के विकास की नई कहानी लिखीं। उन्होंने करीब एक हजार करोड़ से अधिक का विकास करके इतिहास रच दिया। बारा पीपा पुल के मुद्दे पर उन्होंने विरोधियों को आड़े हाथों लिया। पूर्व मंत्री ने जब भाजपा के आईटी सेल के संयोजक अरूण जायसवाल को धमकाया तब भी सुनीता सिंह खड़ी रहीं और विरोधियों को करारा जवाब दिया। विकास की धुन की पक्की सुनीता सिंह ने कभी हार नहीं मानी। सिर्फ लड़ती रहीं। उनके इस जुझारू तेवर को देखते हुए भाजपा ने जिले में सबसे पहले उन्हें जमानियां से उम्मीदवार बनाया और सपा के कद्दावर नेता से दो दो हाथ करने के लिए झांसी की रानी की तरह से आगे कर दिया।