गाजीपुर (काशीवार्ता)। स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र विधान परिषद चुनाव की घोषणा होते ही सियासी दलों को मानों सांप सूंघ गया हो। दलों में खलबली मची हुई है। क्योंकि सभी दल विधानसभा चुनाव की उलझन से अभी ऊबर भी नहीं पाए थे कि चुनाव आयोग ने यूपी में एमएलसी चुनाव की घोषणा कर दी। हर बार इस चुनाव में होने वाले भितरघात से ही मजबूत एवं रसूखदार उम्मीदवार जीत दर्ज करते थे, मगर चुनाव के कारण बड़े बड़े सुरमा इस चुनाव में मदद करने की स्थिति में नहीं दिखाई दे रहे हैं। अब मौजूदा एमएलसी विशाल सिंह चंचल के सामने चुनौती और अग्नि परीक्षा दोनों होगी।
वर्ष 2016 में निर्दल उम्मीदवार के रूप में एमएलसी चुनाव जीतने वाले सैदपुर के तेतारपुर गांव निवासी विशाल सिंह चंचल अब भाजपा में हैं। जब 2016 में चुनाव हुआ था तब अधिकांश सपा के नेता और मतदाताओं ने चंचल का खुले मन से दिल खोलकर समर्थन किया था। चंचल को चुनाव जीताने में सपा के कई पूर्व मंत्रियों का भी नाम सामने आता है। यही कारण रहा कि भितरघात से ही सपा उम्मीदवार डा. सानंद सिंह चुनाव हारे थे। वहीं चंचल के विजय रथ पर मुख्तार के बड़े भाई एवं बसपा सांसद अफजाल अंसारी सवार थे, लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले चंचल पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा के नेतृत्व में भाजपा में शामिल हो गए और अब वह महाराज जी के करीबी हैं। लेकिन ऐसा कहा जाता है कि उनके रिश्ते मनोज सिन्हा से बहुत अच्छे नहीं है। कई जगहों पर उनके समर्थकों की तल्खी सामने भी आ चुकी है। योगी सरकार ने बीते पांच वर्षों में जमकर मुख्तार गैंग पर बुल्डोजर चलाया। ऐसे हालात में क्या अफजाल सब कुछ भूलकर चंचल की मदद करेंगे। यह तो आने वाला वक्त बताएगा, लेकिन एक बात तो साफ हो गई है कि एमएलसी चुनाव की घोषणा ने अच्छे अच्छे सुरमाओं के पैरों तले जमीन खिसका दी है। सियासी दलों के सुरमा खुद चुनाव लड़ रहे हैं। बीच मझधार में उनकी नाव उस समय डूब जाएगी, जब वह भितरघात करके किसी मजबूत उम्मीदवार को एमएलसी बनाने में लगेंगे। सबसे बड़ा सवाल है कि सत्ता पक्ष के प्रत्याशी की उतनी खुलकर जिला प्रशासन भी मदद नहीं करेगा, क्योंकि विधानसभा के चुनाव भी हो रहे हैं। अगर ऐसा जिला प्रशासन करता है तो डीएम पर सवाल खड़े होंगे। एमएलसी चुनाव में पैसा का ही खेल होता है। पैसा पकड़े जाने का भी भय उम्मीदवारों को रहेगा। कारण कि जगह जगह चुनाव आयोग ने अधिकारियों एवं खाकी को लगाकर लग्जरी वाहनों की जांच कराएगी। ऐसे हालात में नेताओं का असली चरित्र भी जनता के सामने आएगा। खैर छोड़िए! भाजपा से विशाल सिंह चंचल और सपा से राधेमोहन सिंह के साथ ही डा. सानंद सिंह की फिर चर्चा हो रही है। दोनों सपा के मजबूत उम्मीदवार माने जा रहे हैं।