दुद्धी (सोनभद्र)।बहुप्रतीक्षित कनहर सिंचाई परियोजना का निर्माण कार्य लगभग अंतिम चरण में चल रहा है।फाटक लगने के बाद जल्द ही बांध का कार्य पूर्ण हो जाएगा लेकिन कनहर परियोजना निर्माण के 8 साल बाद भी पुनर्वास कॉलोनी अमवार में अव्यवस्थाओं का हवाला देकर नाम मात्र के ही विस्थापित बस सकें है।लगभग 37 सालों से लंबित परियोजना को काफी मशक्कत के बाद सपा सरकार में दिसम्बर 2014 में शुरू की गई ।शुरूआत में काफी विरोध के बाद भी परियोजना निर्माण में तेजी देखी गई लेकिन विस्थापितों की समस्याओं पर कोई ठोस पहल आज तक नही किया गया।पुनर्वास पैकेज के बाद पुनर्वास कॉलोनी में विस्थापितों के नाम से घर बनाने के लिए भूमि तो एलाट कर दी गई लेकिन सुविधाओं के नाम पुनर्वास कॉलोनी में सुविधाओं का सिर्फ खाका ही खिंचा जा सका। इसलिए कॉलोनी में अभी तक न पूर्ण रूप से सड़क बन सके और नही पूर्ण रूप से विद्युतीकरण ही किया गया है और जहाँ जहाँ किया भी गया है वहाँ कई जगहों पर पोल गिर चुके हैं तो कहीं जमीन पर तार लटक रहे हैं।जबकि पानी के नाम पर हैंडपंप लगाए गए हैं।
कनहर विस्थापित गांव सुंदरी के फणीश्वर जायसवाल, कोरची के गम्भीरा प्रसाद तथा भिसुर के संतोष ने कहा कि शासन द्वारा कनहर विस्थापितों को पुनर्वास पैकेज तो दिया जा रहा है लेकिन आज तक उनकी रोजगार या खेती बाड़ी के लिए जमीन की व्यवस्था नही की गई हैं इसलिए कनहर विस्थापित पुनर्वास कॉलोनी में बसने में विस्थापित रुचि नहीं ले रहे हैं क्योंकि उन्हें यह डर सता रहा है कि हम पुनर्वास पैकेज के पैसे से पुनर्वास कॉलोनी में अपने रहने के लिए आवास तो बना लेंगे लेकिन रोजगार कहा से लाएंगे और हमारे पास रोजगार नही होगा तो हमसब गुजारा कैसे करेंगे।चूंकि कनहर विस्थापितों के पास खेती के अलावा रोजगार के कोई साधन नहीं है इसलिए विस्थापितों के सामने सबसे बड़ी संकट रोजगार की है। विस्थापितों का कहना है कि हमें खुशी है कि शासन की पहल पर इस परियोजना के निर्माण से 108 गांव लाभान्वित होंगे और हम सब 11 गांव के लोग विस्थापित होंगे।परियोजना पूर्ण होने के बाद हमलोगों की जमीन तो डूब जाएगी और हमलोगों की खेती छीन जाएगी और रोजगार के कोई साधन है नही तो आखिर हमलोग रोजगार के लिए कहा जाएंगे।यह हमलोगों के सामने भविष्य में विकट समस्या खड़ा होने वाली है।