गाजीपुर (काशीवार्ता)। जमानियां विधानसभा के मुस्लिम मतदाताओं पर पूरे जिले की नजर टिकी हुई है। इस विधानसभा से बसपा ने मास्टर स्ट्रोक मारते हुए मुस्लिम उम्मीदवार परवेज खान को मैदान में उताकर सीधे तौर सपा के मुस्लिम वोटों में बड़ी सेंधमारी की योजना बनाकर धुंधरों की नींद उड़ा दी है। साथ ही सपा के बागी रवि यादव भी सीधे तौर पर पार्टी प्रत्याशी को ही चुनौती देकर माहौल गरमा रहे हैं। यदुवंशियों के फैसले से भी सपा उम्मीदवार का भविष्य तय होगा।
2017 के विधानसभा चुनाव में पूर्व मंत्री को पटखनी देने वाली भाजपा की सुनीता सिंह इस बार फिर ओपी को टक्कर देने के लिए गांव गांव में कमल खिलाने का एलान करके विरोधियों को सीधे तौर पर ललकार रही हैं। जमानियां के सियासी समीकरणों की बात करें तो यहां के मुस्लिम, यादव व राजपूत के साथ कुशवाहा ऐसे मतदाता हैं जो किसी का खेल बनाने से लेकर बिगाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। सपा से तीन उम्मीदवार प्रबल दावेदार थे। जिसमें पूर्व मंत्री ओपी सिंह, पूर्व डीआईजी निबंधन और रविप्रकाश यादव शामिल थे। लेकिन वरिष्ठता के बूते पूर्व मंत्री को जमानियां से उम्मीदवार बना दिया गया। पूर्व डीआईजी ओपी यादव तो शांत हो गए, मगर रविप्रकाश यादव, जो नौजवान भी है और उनका परिवार खांटी समाजवादी रहा है, उन्होंने सियासी जंग का एलान कर दिया है। वह अपनों के बीच पहुंच रहे हैं। उनका सीधे तौर पर सवाल है कि क्या पिछड़े एवं दलित के बेटे को विधायक बनने और चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है। पार्टी एक ही व्यक्ति को सिर्फ इसके लिए क्यों चुन रही है। इसलिए मैंने भी फैसला कर लिया है कि इस बार अपने भाइयों एवं जमानियां की जनता के आशीर्वाद के बूते वह विकास के संकल्प के साथ चुनाव मैदान में कूदेंगे। रवि यादव के इस एलान से पुराने अखड़िए ओपी के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं। सपा के बाद अब बसपा उम्मीदवार परवेज खान ओपी को चुनौती देने सीधे सेवराई पहुंचे। उन्होंने मंगलवार को सैकड़ों नौजवानों के साथ पूरे गांव का भ्रमण किया। मायावती और परवेज के नारे भी लगे। दलित मुस्लिम और पिछड़ों का समीकरण भी समझाया। बताया कि बसपा ही जमानियां में भारी रहेगी। और परवेज ही वहां के असली रहनुमा बनेंगे।परवेज ने बातचीत के दौरान बताया कि जमानियां की जनता अब बदलाव के मूड में है। यहां के सियासी जानकार कहते हैं कि वाईएम समीकरण जहां सपा को झटका देगा, वहीं डीएम समीकरण बसपा को फायदा पहुंचाएगा। दूसरी तरफ भाजपा यहां पर हिन्दू वोटों के भरोसे अपनी सियासी नाव पार करने की फिराक में जुटी है।