देश में अलग-अलग मस्जिदों को लेकर फिलहाल विवाद चल रहा है। इन दिनों वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर विवाद सुर्खियों में है। वही ताजमहल और मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद का भी मुद्दा गर्म है। इन सब के बीच अब दिल्ली स्थित जामा मस्जिद पर भी हिंदू संगठनों ने अपना हक जताना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं, जामा मस्जिद का भी सर्वे कराने की मांग को लेकर हिंदू संगठन अब कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। आपको बता दें कि कोर्ट के आदेश के बाद ही वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे कराया गया था। सर्वे के बाद हिंदू पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद के कुएं में बड़ा सा शिवलिंग मिला है। फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर वाराणसी के प्रशासन को बड़ा आदेश भी दिया है। लेकिन कहीं ना कहीं मस्जिदों को लेकर लड़ाई अब बड़ी होती जा रही है।
अखिल भारतीय हिंदू महासभा के दूसरे धड़े के अध्यक्ष चक्रपाणि महाराज ने दावा किया है कि औरंगजेब ने सैकड़ों हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों को दबाकर यह मस्जिद बनवाई है। हालांकि इतिहास कहता है की जामा मस्जिद का निर्माण शाहजहां ने करवाया था। चक्रपाणि महाराज ने तो कोर्ट जाने की भी बात कर दी है। वहीं यूनाइटेड हिंदू फ्रंट अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जय भगवान गोयल ने भी मस्जिद के नीचे मंदिर होने का दावा किया है और कहा है कि यहां देवी-देवताओं की मूर्तियों को दबाया गया है और उसका सर्वेक्षण किया जाना चाहिए। जामा मस्जिद का निर्माण 1665 में हुआ था। इसके निर्माण में कुल 6 वर्ष का समय लगा था जबकि 10 लाख रुपए खर्च आया था।
दूसरी ओर भाजपा के फायर ब्रांड नेता और लोकसभा सांसद साक्षी महाराज ने जामा मस्जिद को लेकर भी बड़ा दावा कर दिया है। उन्होंने साफ-साफ कहा कि जिस जगह पर जामा मस्जिद बनाई गई है वहां भी मंदिर था। साक्षी महाराज ने तो यह भी बता दिया कि यमुना किनारे भगवान विष्णु का मंदिर था। उन्होंने दावा किया कि मैं इस सब बात को 2009 से उठा रहा हूं जब मैं मथुरा का विधायक था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देश के सभी जाति धर्म के लोगों को संविधान और न्यायपालिका पर भरोसा रखना चाहिए। ज्ञानवापी मंदिर की असलियत सामने आ चुकी है। सर्वे रिपोर्ट में दूध का दूध और पानी का पानी हो चुका है।