विधानसभा में सीएम योगी राज्यपाल के अभिभाषण पर विपक्ष का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव में अब तक कुल 117 सदस्य भाग ले चुके ज्ञान, सत्ता पक्ष के 67 और विपक्ष के 50 सदस्यों ने लोकतंत्र के।मंदिर की गरिमा बढ़ाने का काम किया है। सभी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन। राज्यपाल जी को धन्यवाद, जिन्होंने 23 मई को समवेत सदन को संबोधित किया। सरकार के पिछले कार्यकाल की उपलब्धियों का परिचय दिया और भावी कार्ययोजना भी बताईं। नेता प्रतिपक्ष की कुछ बातों पर मुझे आश्चर्य हो रहा था। एक होता है व्यक्ति चुनावी सभाओं में बोलता है। मीठी-मीठी बातें करता है। लेकिन सदन में अगर जमीनी धरातल की बात होती तो बेहतर होता।
नजर नहीं है नजारों की बात करते हैं।
जमीं पर सितारों की बात करते हैं
वो हाथ जोड़कर बस्ती को लूटने वाले
भरी सभा में सुधारों की बात करते हैं।
अभिमान तब होता है जब आपको लगता है कि आपने कुछ किया है। और सम्मान तब होता है जब लोग कहें कि आपने कुछ किया है। हमें अपने कार्यों से जनता जनार्दन का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जनता का जनादेश भाजपा नेतृत्व के कार्यों के प्रति एक आशीर्वाद है। हम ढिंढोरा पीट कर नहीं कहते कि हमने एक्सप्रेस वे बना दिया, एयर कनेक्टिविटी दे दी। जनता ने तमाम अफवाहों को दरकिनार कर 37 वर्षों के बाद कोई सरकार फिर से आई है और धमाकेदार ढंग से अपना काम कर रही है। इतनी बड़ी आबादी का राज्य..हर सरकार ने कुछ न कुछ प्रयास जरूर किया होगा। लेकिन आखिर हम क्यों जनता की अकांक्षाओं का प्रतीक नहीं बन पा रहे थे। हम जीते तो ठीक, बीजेपी जीते तो ईवीएम की गड़बड़ी..यह कहना जनता के अपमान है।
विधानसभा चुनाव में यहां बंगाल से एक दीदी आई थीं। जबकि उनके अपने राज्य में चुनाव के दौरान व्यापक हिंसा की घटनाएं हुईं। 242 में से 142 सीटों पर हिंसक घटनाएं घटी थीं।25 हजार बूथ प्रभावित हुए थे। भाजपा के 10 हजार से अधिक कार्यकर्ता शेल्टर होम में जाने को मजबूर हुए थे। 57 लोगों को हत्या हुई। 123 महिलाओं के साथ अमानवीय व्यवहार हुआ। यह सब उस वेस्ट बंगाल में हुआ जहां की आबादी यूपी की आबादी की आधी है। उत्तर प्रदेश में चुनाव के बाद भी और पहले भी कोई हिंसा नहीं हुईं। क्या यहां भाजपा की सरकार नहीं होती तब भी ऐसा होता? नहीं होता। हमारा मिशन सत्ता प्राप्ति नहीं, देश है। और इसके लिए हमें संसदीय भावनाओं का सम्मान करना होगा। मार्च 2017 में प्रदेश में भाजपा नेतृत्व की सरकार बनी थी। डबल इंजन की सरकार ने डबल ट्रिपल गति से काम।
क्या यह सही नहीं है कि 2017 से पहले दुनिया के सबसे बड़े सिविल पुलिस बल में 150000 पद रिक्त थे। हमने 154000 पुलिस भर्ती की। एक भी भर्ती पर सवाल नहीं। पूरी प्रक्रिया पारदर्शी ढंग से सम्पन्न कराई। इसके बाद ट्रेनिंग की क्षमता को तिगुना किया। पैरामिलिट्री, मिलिट्री के ट्रेनिंग सेंटर लिए गए। बीते 05 सालों में व्यापक पुलिस सुधार हुए। यूपीएसएसएफ और एफडीआरएफ का गठन हुआ। रेंज स्तर पर साइबर थाने बने।आईटीएमेस और सेफ सिटी की परियोजना पर काम हुआ। लखनऊ में फॉरेंसिक इंस्टिट्यूट की कार्यवाही हो रही है। कानून व्यवस्था में कभी पीएसी की बड़ी भूमिका होती थी। लेकिन साजिश के तहत 54 कंपनियां को बंद कर दिया गया। क्या अगर पीएसी होती तो मुजफ्फरनगर बरेली में महीनों महीनों कफर्यू रहता? नहीं रहता। आखिर हमने इन्हें बहाल किया। दंगा मुक्त उत्तर प्रदेश के लक्ष्य को हमने प्राप्त किया है। हमने तीन महिला पीएसी बटालियन का गठन किया है। पुलिस भर्ती में 20% महिलाओं को जगह दी गई।