दक्षिण चीन सागर और हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन अपनी नई प्लानिंग में लगा है। क्वॉड सम्मेलन के दौरान इंडो-पैसिफ़िक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ) पर समझौते के बाद चीन तिलमिला गया है। इसके बाद चीन ने अपनी कूटनीति को धार देना शुरू कर दिया। लेकिन चीन पैसिफिक देशों के साथ समझौता करने में पूरी तरह नाकाम रहा। अपनी दस देशी की यात्रा में चीनी विदेश मंत्री ने 8 पैसिफिक देशों के 17 राजनेताओं से मुलाकात की।
प्रशांत क्षेत्र में चीन की काफी लंबे समय से है निगाहें
प्रशांत द्वीप समूह पर चीन की काफी लंबे वक्त से निगाहें हैं। चीन साल 2006 से इस इलाके में अपने व्यापार, आर्थिक मदद, कूटनीतिक और व्यावसायिक गतिविधियों को लगातार बढ़ा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार 2006 से 2017 के बीच चीन ने प्रशांत क्षेत्र के देशों को करीब 1.5 अरब डॉलर का अनुदान और कर्ज दे दिया था। प्रशांत क्षेत्र में दबदबा कायम करने का सीधा सा अर्थ है कि चीन के पास एक ऐसा इलाका होगा जो संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर तय होने वाले मुद्दों में भी उसकी उपस्थिति को और अधिक मजबूत बना देगा।
चीन का प्लान हुआ फेल
प्रशांत महासागर क्षेत्र के 10 द्वीपीय देशों को साधने की चीन की कोशिशों को करारा झटका लगा है। चीन की तरफ से सोलोमन द्वीप के साथ सुरक्षा करार कर अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की चुनौती बढ़ाने वाले चीन को 10 देशों के साथ करार की उम्मीद थी। चीन के विदेश मंत्री वांग यी यही उम्मीद लेकर मीटिंग के लिए फिजी पहुंचे थे, लेकिन किसी समझौते पर सहमति नहीं बन सकी। इस दौरान वांग यी ने द्वीपीय देशों से कहा कि वे चीन की महत्वाकांक्षाओं को लेकर किसी भी तरह का डर अपने मन में न रखें। ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ग्रुप एबीसी न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘चीन ने प्रशांत महासागर क्षेत्र के 10 द्वीपीय देशों के साथ करार करने की योजना बनाई थी, जो सफल नहीं हो सकी है।’
अब आगे क्या
चीन के कूटनीतिक प्रयास असफल हो गए। हालांकि वांग ने इस यात्रा के दौरान कई द्विपक्षीय समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए हैं। प्रशांत देशों के साथ समझौते के रद्द होने के बाद चीन ने एक ‘पोज़ीशन पेपर’ जारी किया। इसमें बताया गया है कि वो अभी भी प्रशांत देशों के साथ ‘अपनी रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
अफ्रीकी देशों की तरफ चीन के कदम
चीन ने अब उसने अमेरिका को घेरने के लिए अफ्रीका की तरफ रूख किया है। चीन के निशाने पर अब इक्वेटोरियल गिनि और नामीबिया जैसे दो अफ्रीकी देश हैं। दोनों ही देशों में अपना सैन्य बेस बनाने की कोशिश में चीन लगा है। चीन इक्वेटोरियल गिनि के शहर बाटा में सैन्य बेस बनाना चाहता है। यहां सैन्य बेस बनाकर चीन अमेरिका के पश्चिमी तट के करीब अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराना चाहता है। चीन की यहां और मौजूदगी के एटलांटिक महासागर में अमेरिका की टेंशन बढ़ सकती है।