(आलोक श्रीवास्तव)
वाराणसी (काशीवार्ता)। सदियों से समाज में एक ही चीज देखने को मिलती है जब किसी घर में बिटिया का जन्म होता है तो सास, ससुर, ननद व पति के चेहरे पर बारह बज जाता है। मुस्कान की जगह उनके माथे पर बल पड़ जाता है। जो आज के दौर में भी लोगों की सोच का आभास कराती हैं। ऐसे ही समाज की सोच को बदलने के लिए डॉ. शिप्राधर ने एक बीड़ा उठाया और अपने अशोक विहार स्थित काशी मेडिकेयर में बच्ची के जन्म पर पूरा शुल्क छोड़ देने का संकल्प लिया। इसमें उनकी मदद उनके चिकित्सक पति डॉ. मनोज कुमार श्रीवास्तव ने की।
25 जुलाई 2014 से शुरू डा. शिप्राधर के इस अभियान के तहत 7 जून 2022 को अपनी शादी के 26 वीं वर्षगांठ पर उन्होंने एक इतिहास रच दिया। जी हाँ, उन्होंने 5 सौवीं बेटी का नि:शुल्क जन्म कराया। बताते चलें कि बेटी को सम्मान दिलाने के लिए डॉ. शिप्रा द्वारा पीएम मोदी की प्रेरणा से ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ और सुकन्या समृद्धि योजना को भी अपने अभियान में शामिल किया।
5 सौवीं बिटिया के जन्म पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
डॉ. शिप्रा ने अस्पताल में 5 सौ बिटिया के जन्म लेने के उपरांत काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय के प्रांगण में ‘बेटी नहीं है बोझ, आओ बदले सोच’ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी की मुख्य अतिथि बाबू बनारसी दास की कुलाधिपति अलका दास गुप्ता, मुख्य वक्ता भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुरेश जैन थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. नीरजा माधव तथा स्वागताध्यक्ष प्रो. अरविंद जोशी, विशिष्ट अतिथि आर्यमा सान्याल रही। संगोष्ठी में एनेमिया एवं कुपोषण मुक्त भारत, कुटुम्ब प्रबोधन, औरतों में होने वाले ब्रेस्ट व सर्वाइकल कैंसर, सेल्फ डिफेंस पर चर्चा हुई।