जुर्माने से पहले शहर के डिवाइडरों पर संकेतक जरूरी


(विशेष प्रतिनिधि)
वाराणसी(काशीवार्ता)। एक बार फिर शहर के जानलेवा डिवाइडर चर्चा में हैं। इस बार जिला प्रशासन ने इसकी सुधि ली है। जिलाधिकारी ने पीडब्ल्यूडी को आदेश दिया है कि जिन लोगों ने शहर के डिवाइडर को क्षतिग्रस्त किया है उनसे जुमार्ना वसूला जाय। इसके लिये सीसीटीवी की भी मदद ली जाये।उद्देश्य तो अच्छा है। किसी भी सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का किसी को हक नहीं है। जुर्माना जरूर वसूला जाना चाहिये।लेकिन सवाल यह भी है कि दोषपूर्ण डिवाइडरों की वजह से जिन वाहन चालकों की जानें गयीं या जिनकी महंगी गाड़ियां टूटी उसकी भरपाई कौन करेगा। शहर में अनेक डिवाइडर ऐसे हैं जो जानलेवा बन चुके हैं। इनमें फातमान रोड, मडुआडीह बाजार जिला जेल रोड,हुकुलगंज में बने डिवाइडर सबसे ज्यादा बदनाम हैं। कुछ साल पहले फातमान के डिवाइडर से टकरा कर मऊ के एक डॉक्टर की जान चली गयी। वे बनारस एक शादी में आये थे।लौटते समय उनकी कार का ड्राइवर डिवाइडर को देख नहीं सका। क्योंकि उसपर कोई संकेतक नहीं लगा था। इसी तरह मडुआडीह बाजार में बना डिवाइडर कई गाड़ियां तोड़ चुका है।जेल रोड पर पिछले दिनों डिवाइडर पर चढ़ कर एक स्कोर्पियो पलट गयी, जिसमें कई लोग घायल हो गए। ये चंद दुर्घटनाएं तो महज एक नमूना हैं जो मीडिया में आयीं। अनेक घटनाएं तो प्रकाश में आ ही नहीं सकीं क्योंकि दुर्घटना के शिकार लोग अपना क्षतिग्रस्त वाहन लेकर चले गए।कानून कहता है कि जिस भी सरकारी विभाग की गलती और लापरवाही से आम आदमी की जनधन की क्षति होती हो उसके खिलाफ मुकदमा होना चाहिये। साथ ही अधिकारी और अभियंता की जिम्मेदारी तय होनी चाहिये। लेकिन जनता में जागरूकता की कमी के चलते ऐसा नहीं हो पाता। अब मुख्यमंत्री योगी ने सड़क दुर्घटनाओं के प्रति कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस महकमे के लोगों से दुर्घटनाएं रोकने का आदेश दिया है। इसी क्रम में डिवाइडरों के ऊपर संकेतक लगाने के निर्देश दिए गए हैं। नियम तो यह है कि हाईवे पर ऐसे संकेतक लगे होने चाहिये जो कम से कम एक सौ मीटर दूर से दिखाई पड़ें। क्योंकि हाईवे पर वाहनों की गति काफी तेज होती है। शहरों में कम से कम 50 मीटर दूर से दिखाई देने वाले संकेतक होने चाहिये। इन संकेतकों में जलती बुझती लाइट भी शामिल है। यह सभी मानक अंतरराष्ट्रीय स्तर के हैं। क्योंकि किसी भी शहर में बड़ी संख्या में बाहरी वाहन भी आते हैं। दुर्घटना के शिकार भी यही होते हैं।जाड़े में कोहरे के मौसम में स्थिति और भी विषम हो जाती है। कोई भी वाहन चालक जानबूझकर डिवाइडर पर गाड़ी नहीं चढ़ाता। क्योंकि ऐसी दुर्घटनाओं में पत्थर के डिवाइडर का तो मामूली नुकसान होता है लेकिन महंगी गाड़ी चकनाचूर हो जाती है।
उम्मीद की जानी चाहिये कि मुख्यमंत्री के आदेश के बाद न सिर्फ डिवाइडरों पर संकेतक लगेंगे बल्कि डिवाइडर भी मानक के अनुसार बनाये जाएंगे।