वाराणसी। विकास के पथ पर अग्रसर काशी के पक्के महाल की दुश्वारियां कम होती नजर नहीं आ रही। एक तरफ जहां काशी की गलियों को चाक-चौबंद कर उसे चमकाने की कवायद की जा रही है, वहीं काशी को विकास के मॉडल के रूप में पेश किया जा रहा है। बावजूद इसके पक्के महाल की स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे ही कुछ हालात है गऊ मठ के। यहां के लोग निर्बाध जलापूर्ति को तरस रहे हैं। एक बाल्टी पानी के लिए इन्हें नल के आगे घंटों खड़ा रहना पड़ रहा है। पिछले एक पखवाड़े से लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। वही क्षेत्र के सभी सरकारी हैंडपंप भी जवाब दे चुके हैं। क्षेत्र में करीब 5 सरकारी हैंडपंप है लेकिन वर्तमान में एक भी पानी नहीं उगल रहा है। रही बात नल से जलापूर्ति की तो वह भी पानी के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति करता नजर आता है। क्षेत्र निवासी छेदीलाल बताते हैं कि गऊ मठ के लोग इस भीषण गर्मी में पानी के लिए तरस रहे है। पानी के लिए लोग डिब्बा लेकर नल की ओर दौड़ लगाते देखे जा सकते हैं। पक्के महाल की गलियों के निर्माण के दौरान शासन व जिला प्रशासन स्तर पर कहा गया था कि अब जलापूर्ति तीन मंजिले तक होगी और कुछ दिन तक ऐसा हुआ भी लेकिन अब जलापूर्ति महज खानापूर्ति बनकर रह गई है। समस्या से क्षेत्रीय सभासद व ठेकेदार को कई बार अवगत कराया गया लेकिन उनके द्वारा सिर्फ आश्वासन ही दिया जा रहा है। पानी की किल्लत क्षेत्रवासी ही नहीं पर्यटक और यात्री भी झेल रहे हैं। बताते चलें कि भाजपा सरकार जहां हर घर नल अभियान चला रही है, वहीं उनके ही विधायक पार्षद अपनी जनता को पानी के लिए तरसा रहे। जनता की समस्याओं की अनदेखी करना उनके जनप्रतिनिधि होने के दायित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाता नजर आ रहा है।