एक लाख लोग तो आधा पेट खाकर दिन बिता रहे


(युगल किशोर जालान)
वाराणसी (काशीवार्ता)। कोरोना त्रासदी में भोजन पैकेट वितरित करने में सेवारत लोगों का मानना है कि शहरी इलाकों में एक लाख से अधिक परिवार आधा पेट खाना खाकर दिन व्यतीत कर रहे। उद्यमियों और स्वयंसेवी संस्थाओं के समाजसेवा से जुड़े कुछ लोगों के अनुसार मई मजदूर दिवस पर लाकडाउन में मजदूर वर्ग की स्थिति ठीक नहीं। हालांकि जिलाधिकारी इस वर्ग की भरपूर सहायता कर रहें, फिर भी निकट भविष्य की चिंता सभी को सता रही। ऐसे नौकरी पेशा परिवारों की भी कमी नहीं, जिनके किचेन में चार टाइम चूल्हा जलता था लेकिन अब दो टाइम से ही काम चला रहे हैं। अप्रैल की सेलरी मिलेगी या नहीं कि चिंता में हजारों परिवारों ने सुबह-शाम के नाश्ते और दोनों समय के भोजन की थाली-प्लेट छोटी कर दी है। इसके बावजूद व्यापारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि कोरोना काल में वाराणसी के प्रशासन व पुलिस के मानवीय चेहरे ने हर व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ाया है। भाजपा के वरिष्ठ सक्रिय कार्यकर्ता और व्यापारी अनंत कुमार मिश्र भी रोजाना पिछड़े इलाकों में भोजन पैकेट वितरित कर रहे। रोटी बैंक भी रोजाना बड़ी संख्या में लोगों को दोनों समय भोजन पैकेट वितरित कर रहा। ऐसे ही तमाम लोगों से मिली जानकारी के अनुसार वाराणसी शहर और आसपास के इलाकों में रोजाना दोनों समय मिलाकर 45 हजार से अधिक भोजन पैकेट वितरित हो रहे। बड़ी संख्या में किचेन के सामानों की किट भी वितरित हो रही। इसके बावजूद आधा पेट खाना खाकर दिन व्यतीत करने की बात को नकारा नहीं जा सकता। मंडुवाडीह के व्यापारी नेता विनय कुमार गुप्ता, मालवीय मार्केट के वस्त्र व्यापारी शरद अरोड़ा, भाजपा के सक्रिय वरिष्ठ कार्यकर्ता शिवदत्त द्विवेदी, यार्न ट्रेडर निधिदेव अग्रवाल, चश्मा व्यापारी सी एन पाल, कंफेक्शनरी उद्यमी कुलवंत सिंह बग्गा सहित तमाम लोगों ने कहा कि हजारों परिवारों को आधा पेट भोजन की बात को नकारा नहीं जा सकता। कंफेक्शनरी उद्यमी कुलवंत सिंह बग्गा और कपड़ा व्यापारी विनय कुमार गुप्ता ने खाली पेट पर ठोस तर्क दिया है। बताया गया कि एक व्यक्ति की एक समय की औसत खुराक शहरी इलाकों में 450 ग्राम और ग्रामीण क्षेत्रों में 600 ग्राम होती है। मेहनत-मजदूरी करने वालों की औसत खुराक 700 ग्राम के करीब होती है। इस समय वितरित हो रहे भोजन पैकेट का वजन पता कर ले तो स्पष्ट हो जाएगा कि लोग भर पेट खा रहे या आधा पेट। यह भी सच है कि आधा पेट खाना खाकर भी लोगों के मन में शिकायत नहीं है। आधा पेट खाकर भी लोग इसलिए खुश हैं कि प्रशासन और समाजसेवी लगातार उनका खयाल रख रहे। कोई भी परिवार भूखा ना रहे इसके लिए जालान सिन्थेटिक्स के केशव जालान, अग्रवाल समाज, मारवाड़ी युवक संघ, जालान्स (दुर्गाकुंड), व्यापारी नेता विनय कुमार गुप्ता, अजीत सिंह बग्गा, प्रेमशंकर मिश्रा ने वितरण में अछूते इलाकों में भी भोजन पैकेट वितरित करने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं।