बिहार की सियासत में लगातार घटनाए बदलती जा रही हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब भाजपा से ब्रेकअप के बाद राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की तैयारी में हैं। इन सब के बीच दो बड़ी खबर सामने आ रही है। सबसे पहली खबर यह है कि भाजपा कोटे से नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल सभी 16 मंत्री अपना इस्तीफा देंगे। इसके साथ ही दूसरी खबर यह है कि राज्यपाल फागू चौहान से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 12:30 बजे मुलाकात करेंगे। सूत्रों ने बताया है कि नीतीश कुमार इस मुलाकात के दौरान राजद और कांग्रेस के समर्थन पत्र को राज्यपाल को सौंप सकते हैं। दूसरी ओर जदयू और राजद के विधायकों की बैठक लगातार जारी है। मुख्यमंत्री निवास में जदयू के विधायकों की बैठक हो रही है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर कांग्रेस और राजद के विधायकों की बैठक हो रही है।
कुल मिलाकर देखें तो बिहार में एक बार फिर से महागठबंधन की सरकार बनती दिखाई दे रही है जिसका नेतृत्व नीतीश कुमार करेंगे। उपमुख्यमंत्री की भूमिका एक बार फिर से तेजस्वी यादव निभा सकते हैं। पिछले कई दिनों से नीतीश कुमार की नाराजगी की खबर थी। हालांकि, अमित शाह की ओर से नीतीश कुमार को फोन किया गया था। लेकिन शायद नीतीश कुमार मानने को तैयार नहीं थे। नीतीश कुमार ने अमित शाह के समक्ष कई बड़े शर्त रखी थी और भाजपा सभी शर्तों को पूरा करने को तैयार नहीं थी। इससे पहले लगातार के दोनों ओर से दावा किया जा रहा था कि सरकार में सब कुछ सही है। कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन कहीं ना कहीं अब ऐसा लग रहा है कि नीतीश कुमार भाजपा से ब्रेकअप करने के बाद महागठबंधन के साथ मिलकर नई सरकार बिहार में बनाने को तैयार हैं।
हालांकि इससे पहले जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा का भी बड़ा बयान सामने आया है। उपेंद्र कुशवाहा से जब पूछा गया कि भाजपा और जदयू में सब कुछ ठीक-ठाक है। उन्होंने जवाब में कहा कि हां बिल्कुल। अपने बयान में उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आज हम कोई दावा नहीं कर रहे हैं। लेकिन नीतीश कुमार ने पीएम बनने के सारे सब योग्यताएं हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि आरसीपी सिंह का बयान बेहद आपत्तिजनक है और उनके मानसिक दिवालियापन को दर्शाता है। बिहार में राजनीतिक संकट के बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों ने सोमवार को कहा कि वह नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड , जद(यू) को ‘‘ गले लगाने’’ को तैयार है, बशर्ते वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का साथ छोड़ दे। कांग्रेस और वामदलों ने भी सोमवार को संकेत दिया कि अगर ऐसा होता है तो वे इसका समर्थन करेंगे।