(राजेश राय)
वाराणसी (काशीवार्ता)। विश्व पर्यटन दिवस के दो दिन पूर्व फ्रांसीसी युवती के साथ घटी घटना ने न सिर्फ काशी को शर्मसार कर दिया, बल्कि 25 साल पहले हुए सनसनीखेज डायना मर्डर केस की यादें ताजा कर दी। डायना मर्डर केस का सूत्रधार भी अवैध गाइड ही था और फ्रांसीसी युवती के साथ आशोभनीय हरकत करने वाला भी अवैध गाइड निकला। हालांकि उस समय अवैध गाइडों की धरपकड़ और पर्यटकों की सुरक्षा के तमाम दावें किये गये थे, लेकिन हकीकत यह है कि आज भी गली-मुहल्लों में कुकुरमुत्ते की तरह न सिर्फ अवैध रुप से गेस्ट हाउस संचालित हो रहे हैं बल्कि सैकड़ों की संख्या में अवैध गाइड भी मिल जायेंगे। यह स्थिति तब है जब केन्द्र और प्रदेश की सरकार पर्यटकों को लुभाने के लिए तमाम प्रयास कर रही है। देखा जाये तो अवैध गाइडों के निशाने पर ज्यादातर विदेशी पर्यटक ही होते हैं। दरअसल उनसे न सिर्फ मोटी कमाई होती है बल्कि कई बार उन्हें गांजा भांग इत्यादि की लत भी ये लगा देते हैं। गंगा किनारे व शहर में फैले अनेक गेस्ट हाउसों में पर्यटकों को ड्रग्स सप्लाई की खबरें अक्सर आती रहती हैं। जो पर्यटक इन अवैध गाइडों के चक्कर में फंसकर नशे की गिरफ्त में आये, वह अपना सबकुछ गंवाए। फ्रांसीसी युवती भी इसका अपवाद नहीं थी। उसे भी बीयर में कोई नशीला पदार्थ मिलाकर पिलाया गया था। इस मामले में पुलिस ने अपनी बदनामी को ढकने की तमाम कोशिशें की है। सबसे बड़ी लापरवाही तो यह कि पीड़िता का मेडिकल तक नहीं कराया गया। पुलिस ने उस डाक्टर की मेडिकल रिपोर्ट पर ही भरोसा किया, जिससे युवती ने अपना इलाज कराया था। जबकि पीड़िता का मेडिकल सरकारी डाक्टर के पैनल द्वारा कराया जाना चाहिए था। सबसे बड़ा सवाल है कि पीड़िता अपने बेड पर नग्न अवस्था में क्यों और कैसे पड़ी थी… उसके वस्त्र किसने उतारे। जिसने भी कपड़े उतारे उसने और क्या-क्या किया। निर्भया कांड के बाद रेप की परिभाषा बदल गयी है। अब डिजिटल रेप भी बलात्कार की श्रेणी में आता है। यह भी प्रश्न अनुत्तरित है कि क्या नग्न अवस्था में युवती का वीडियो तो नहीं बनाया गया। यह प्रश्न भी उठ रहा है कि जिस रेस्टूरेंट में युवती को बीयर पिलायी गयी क्या उस रेस्टूरेंट में शराब परोसने की इजाजत थी और जब वह नशीले पदार्थ के सेवन से बेहोश हो गयी तो उसे उसके गेस्ट हाउस तक किसने पहुंचाया। गेस्ट हाउस संचालक ने युवती की हालत देख पुलिस को तत्काल सूचना क्यों नहीं दी? ऐसे ही कई और सवाल हैं जो काशी के लोगों के जेहन में कौंध रहे हैं।
1997 में ट्रेन पकड़ने निकली डायना अचानक हो गयी थी लापता
वर्ष 1997 में डायना मर्डर केस ने भारत के साथ पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। डायना क्लेयर राउतले न्यूजीलैंड की रहने वाली महिला थी। वह बनारस घूमने 7 अगस्त 1997 को पहुंची। वह 10 अगस्त 1997 को सबेरे करीब 7 बजे दार्जलिंग जाने के लिए ट्रेन पकड़ने कैंट रेलवे स्टेशन पहुंची। इसके बाद उसका कुछ पता नहीं चला। उसके पिता एलेन जैक रौतले ने स्थानीय अधिकारियों को अपनी बेटी के लापता होने की सूचना दी। तत्कालीन लक्सा इंस्पेक्टर राघवेंद्र सिंह ने जांच शुरु की तो पता चला कि वह एक गाइड धर्मदेव यादव के सम्पर्क में थी, जिसे तत्कालीन इंस्पेक्टर शिवपुर अनिल कुमार राय ने 19 अगस्त 1998 को शिवपुर रेलवे स्टेशन के पास से गिरफ्तार किया। कड़ाई से पूछताछ में उसने न सिर्फ डायना की हत्या करना कबूल किया बल्कि इस कांड में अपने सहयोगियों कालीचरण यादव, सिंधु हरिजन और रामकरन चौहान के नाम भी बताये। बाद में उसके गाजीपुर के वृंदावन गांव स्थित घर से पुलिस ने जमीन खोदकर डायना का कंकाल 20 अगस्त 1998 को बरामद किया। धर्मदेव की पत्नी को जब यह पता चला कि वह साल भर से एक कब्र के ऊपर सो रही थी तो वह बेहोश हो गयी। धर्मदेव ने बलात्कार के बाद डायना की हत्या कर दी थी। उसे बाद में फांसी की सजा हुई। इंस्पेक्टर राघवेन्द्र को न्यूजीलैंड सरकार ने सम्मानित किया था।