बनारस के लकड़ी उद्योग का बढ़ा दबदबा


xवाराणसी(काशीवार्ता)। प्रदेश के ओडीओपी और जीआई टैग के तहत आने वाले उत्पाद लकड़ी के खिलौनों की मांग दक्षिण भारत के गोलू फेस्टिवल में बढ़ती जा रही है। दरअसल, साउथ इंडिया में होने वाले 10 दिनों के गोलू त्योहार में अन्य खिलौनों के साथ बनारस के लकड़ी उद्योग के खिलौने एवं मूर्तियों को भी सजा कर पूजा की जाती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक जिला एक उत्पाद तथा पीएम मोदी ने जीआई टैग के जरिए लकड़ी के खिलौना उद्योग को जो अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई, यह उसी का नतीजा है कि दुनिया में इसकी मांग बढ़ती जा रहा है और पूर्वांचल के शिल्पियों के साथ हुनरमंद को उनकी कलाकारी का वाजिव दाम मिल रहा है। गोलू यानी फेस्टिवल आॅफ डॉल्स दक्षिण भारत में शरद ऋतु नवरात्र में गुड़ियों का उत्सव है। 10 दिनों तक चलने वाले इस गुड़िया फेस्टिवल में देवी देवताओं की मूर्तियों के साथ घर में रहे सारे गुड्डे गुड़ियां एवं खिलौनों को सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है। इन मूर्तियों में बनारस के लकड़ी के खिलौने को अपनी कारीगरी और सुंदरता के कारण खासा पसंद किया जा रहा है। मैसूर के मशहूर खिलौनों के शोरूम के मालिक आरजी सिंह ने बताया कि बनारस के लकड़ी के खिलौने की शिल्पी काफी हुनरमंद है, उनके हाथों में अद्भुत कारीगरी है, वे बड़े भाव से लकड़ी पर भगवान की आकृति बनाते हैं। उन्होंने बताया कि दक्षिण भारत की परिवेश से मिलती जुलती मूर्तियों को बनाने का आॅर्डर वे बनारस के शिल्पियों को देते हैं। उनके स्टोर से वाराणसी के लकड़ी के खिलौने में गोलू फेस्टिवल में राजा, राजा का हाथी उनका लावलश्कर, घोड़े, भगवन राम, राम दरबार, श्री कृष्ण, मां दुर्गा आदि देवी देवताओं की मूर्तियां ज्यादा बिकती हैं। लकड़ी के खिलौना से जुड़े वाराणसी के लोलार्क कुंड के प्रमुख व्यापारी बिहारी लाल अग्रवाल ने बताया कि जब से प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लकड़ी के खिलौने के उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचार प्रसार किया है तब से इसकी मांग देश और विदेशो में बढ़ गई है।