गाजीपुर। यूपी एसटीएफ द्वारा आयुष कालेजों में प्रवेश घोटाले में कृष्ण सुदामा ग्रुप आफ कालेजेज के निदेशक और भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश कोषाध्यक्ष डा. विजय यादव को गिरफ्तार किए जाने के बाद उसका असली चेहरा जनता के सामने आ गया है। उसके खिलाफ हजरतगंज थाने में केस दर्ज किया गया है। एक सामान्य परिवार से शिक्षा माफिया तक के सफर में उसने अरबों की अकूत संपत्ति अर्जित की थी। यही नहीं डा. विजय ने अपनी काली करतूतों पर पर्दा डालने के लिए बसपा, सपा और अब भाजपा के शीर्ष नेताओं तक पहुंच बनाकर सरकारी सिस्टम को खूब चोट पहुंचाई। उसने 2021 में हुए जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में अपनी पत्नी को भाजपा से टिकट दिलाने में पूरी ताकत झोंक दी थी। मगर उस समय एमएलसी विशाल सिंह चंचल के हस्तक्षेप से उसको टिकट नहीं मिला और सपना सिंह चेयरमैन बन गईं। अगर उस समय भाजपा ने टिकट दे दिया होता तो आज और भाजपा की किरकिरी पूरे प्रदेश में होती।
सादात ब्लाक के मजुई मरदापुर गांव निवासी आर्मी से सेवानिवृत्ति स्व. केदार यादव की कुल पांच संतानें थीं। जिसमें डा. विजय यादव बड़ा बेटा था। स्व. केदार यादव के पास करीब पांच बीघा जमीन थी। अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए उन्होंने सेवानिवृत्ति होने के बाद भी मुंबई में जाकर नौकरी की थी। देखने में सामान्य लगने वाले विजय यादव ने वर्ष 2003-2004 में कर्ज लेकर कृष्ण सुदामा महाविद्यालय की स्थापना दो कमरों से मरदापुर में की थी। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। मरदापुर में तीन भवन है। जिसमें महाविद्यालय, बीएमएस, और पालिटेक्निक कालेज का अलग भवन है। डा. विजय यादव के आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च, इंस्टीट्यूट आफ आयुर्वेदिक मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर, सुदामा महाविद्यालय मरदापुर, कृष्ण सुदामा महाविद्यालय मरदापुर, केवीएस स्कूल आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी मरदापुर आदि कॉलेज शामिल है। प्रवेश के नाम पर गरीब छात्रों को खूब लूटता रहा। इतना बड़ा सेटअप तैयार करने के लिए उसने सियासत का सहारा लिया। जब उसने शिक्षा के क्षेत्र में कदम बढ़ाया तो उस समय सादात के विधायक हुआ करते थे स्व. अमेरिका राम। अमेरिका राम के सहारे वह बसपा में पैठ बना लिया। यह सिलसिला वर्ष 2012 तक चलता रहा। जब सपा की सरकार आई तो गिफ्ट देकर वह शिवपाल यादव का करीबी बन गया। उसने छात्रवृत्ति से लेकर तमाम घोटाले किए। सरकार में अकूत धन संपदा बनाते बनाते वर्ष 2017 में भाजपा की सरकार आ गई। चूंकि वह पिछड़े समाज से था और भाजपा को गाजीपुर सहित पूर्वांचल में पिछड़े समाज का नेता चाहिए तो भाजपा संगठन में जगह बना ली और तब के भाजपा के संगठन महामंत्री सुनील बंसल का करीबी हो गया। उस समय भाजपा सरकार में सुनील बंसल की तूती बोलती थी। सुनील बंसल की कृपा से उसने भाजपा किसान मोर्चा में जगह बना ली और उसे किसान मोर्चा का प्रदेश कोषाध्यक्ष बना दिया गया। यहां काम करते करते वह जम्मू एवं कश्मीर के एलजी और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा का भी नजदीकी बन गया। मनोज सिन्हा जब भी गाजीपुर आते तो विजय यादव उनके साथ खड़ा रहता। कई बार वह कश्मीर राजभवन भी गया। अब डा. विजय यादव को एसटीएफ आयुष प्रवेश घोटाले में गिरफ्तार कर चुकी है और लखनऊ के हजरतगंज थाने में उसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हो चुका है। इस पूरे प्रकरण में भाजपा के नेताओं को एक तरह से सांप सूंघ गया है। सोशल मीडिया पर एलजी मनोज सिन्हा के साथ की कई फोटो वायरल हो रही है। इस मामले में भाजपा की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। ऐसी चर्चा है कि जल्द ही उसके अरबों के कालेजों को गिराने के लिए आदेश देने पर सरकार विचार कर रही है। अग ऐसा होता है तो डा. विजय यादव का सपना चकनाचूर हो जाएगा।
पत्नी को बनवाना चाहता था चेयरमैन
2021 में जब जिला पंचायत सदस्य का चुनाव हुआ तो वह अपनी पत्नी को सदस्य निर्वाचित कराने में कामयाब रहा। उसने खूब वोटरों को पैसे बांटे। इसके बाद उसकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा चरम पर पहुंच गई। भाजपा में अपने मजबूत रिश्ते के बूते जिला पंचायत अध्यक्ष का टिकट अपनी पत्नी को दिलाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। भाजपा जिलाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने उसको चेयरमैन का टिकट दिलाने के लिए पत्र भी भेज दिया। उसकी पैरवी प्रदेश संगठन करने लगा। इधर निर्दल जिला पंचायत सदस्य बनीं सपना सिंह की मजबूत स्थिति थी। तब एमएलसी विशाल सिंह चंचल ने मुख्यमंत्री से मिलकर सपना सिंह को भाजपा में शामिल कराया और विजय यादव की पत्नी का टिकट कटवाकर सपना को चेयरमैन बनवाने में कामयाब रहे। यहां पर एक बात महत्वपूर्ण है कि अगर चंचल सिंह ने हस्तक्षेप नहीं किया होता तो आज डा. विजय की पत्नी चेयरमैन बन जाती और उसकी गिरफ्तार से भाजपा की खूब किरकिरी होती।
एसटीएफ साले से भी कर चुकी है पूछताछ
गाजीपुर। आयुष कॉलेजों में प्रवेश को लेकर हुए घोटाले में लखनऊ एसटीएफ की टीम ने मरदापुर निवासी डॉ. विजय यादव को लेकर बड़ा खुलासा किया है। एसटीएफ की टीम ने काफिले में से ही उसे हिरासत में ले लिया। उसके साले कृष्ण कुमार यादव से पूछताछ में कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिली है। इसके बाद विजय के खिलाफ कार्रवाई की गई। कृष्ण कुमार जौनपुर में फामेर्सी चलाता था, बल्कि विजय यादव के वाराणसी के कॉलेज का कामकाज भी देखता था।