‘वीर बाल दिवस हमें भारत की पहचान बताएगा’, PM मोदी बोले- देश प्रथम रखने की परंपरा हमारी प्रेरणा है


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेजर ध्यान चंद स्टेडियम में वीर बाल दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वीर बाल दिवस हमें भारत की पहचान बताएगी। उन्होंने इस कार्यक्रम में वीर साहिबजादा को नमन किया। साथ ही साथ माता गुजरी के साहस को भी प्रणाम किया। उन्होंने साफ तौर पर कहा वीर साहिबजादे किसी के सामने झुके नहीं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि इतिहास के नाम पर हमें गलत तथ्य बताए गए। हमें अतीत के संकुचित नजरियों से आजाद होना है। मोदी ने कहा कि भारत आज पहला ‘वीर बाल दिवस’ मना रहा है। ‘शहीदी सप्ताह’ और ‘वीर बाल दिवस’ निस्संदेह भावनाओं से जुड़े हुए हैं, लेकिन ये निश्चित रूप से अंतहीन प्रेरणा लेकर चलते हैं। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘वीर बाल दिवस’ हमें याद दिलाएगा कि दश गुरुओं का योगदान क्या है, देश के स्वाभिमान के लिए सिख परंपरा का बलिदान क्या है! ‘वीर बाल दिवस’ हमें बताएगा कि- भारत क्या है, भारत की पहचान क्या है! उन्होंने कहा कि मैं वीर साहिबजादों के चरणों में नमन करते हुए उन्हें कृतज्ञ श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। इसके साथ ही मोदी ने कहा कि इसे मैं अपनी सरकार का सौभाग्य मानता हूं कि उसे आज 26 दिसंबर के दिन को ‘वीर बाल दिवस’ के तौर पर घोषित करने का मौका मिला। मोदी ने कहा कि देश प्रथम रखने की हमारी परंपरा है। औरंगजेब तलवार के जोर पर धर्म बदलवाना चाहता था। लेकिन गुरु गोविंद सिंह हमेशा उसके सामने खड़े रहे। हमारे गुरु धार्मिक कट्टरता के खिलाफ थे। लाखों की फौज के सामने भी साहिबज़ादे नहीं डरे। 

मोदी ने कहा कि भारत की भावी पीढ़ी कैसी होगी, यह प्रेरणा पर निर्भर है। गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलने का प्रण लेना होगा। उन्होंने कहा कि मैं पिता दशमेश गुरु गोविंद सिंह जी और सभी गुरुओं के चरणों में भी भक्तिभाव से प्रणाम करता हूं। मैं मातृशक्ति की प्रतीक माता गुजरी के चरणों में भी अपना शीश झुकाता हूं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इतिहास से लेकर किंवदंतियों तक, हर क्रूर चेहरे के सामने महानायकों और महानायिकाओं के भी एक से एक महान चरित्र रहे हैं। लेकिन ये भी सच है कि, चमकौर और सरहिंद के युद्ध में जो कुछ हुआ, वो ‘भूतो न भविष्यति’ था। मोदी ने कहा कि एक ओर धार्मिक कट्टरता में अंधी इतनी बड़ी मुगल सल्तनत, दूसरी ओर, ज्ञान और तपस्या में तपे हुए हमारे गुरु, भारत के प्राचीन मानवीय मूल्यों को जीने वाली परंपरा!

पीएम मोदी ने कहा कि एक तरफ आतंकवाद था, वहीं अध्यात्मवाद था, एक तरफ सांप्रदायिक तबाही थी और दूसरी तरफ उदारवाद था… एक तरफ लाखों की फौज थी और दूसरी तरफ वीर साहिबजादे थे, जो तनिक भी टस से मस नहीं हुए। उन्होंने कहा कि उस दौर की कल्पना करिए! औरंगजेब के आतंक के खिलाफ, भारत को बदलने के उसके मंसूबों के खिलाफ, गुरु गोविंद सिंह जी पहाड़ की तरह खड़े थे। लेकिन, जोरावर सिंह साहब और फतेह सिंह साहब जैसे कम उम्र के बालकों से औरंगजेब और उसकी सल्तनत की क्या दुश्मनी हो सकती थी? उन्होंने कहा कि दो निर्दोष बालकों को दीवार में जिंदा चुनवाने जैसी दरिंदगी क्यों की गई? वो इसलिए, क्योंकि औरंगजेब और उसके लोग गुरु गोविंद सिंह के बच्चों का धर्म तलवार के दम पर बदलना चाहते थे। लेकिन, भारत के वो बेटे, वो वीर बालक, मौत से भी नहीं घबराए। वो दीवार में जिंदा चुन गए, लेकिन उन्होंने उन आततायी मंसूबों को हमेशा के लिए दफन कर दिया।