मरीज के सिस्टम को लक्ष्य बनाकर करना चाहिए उपचार


सिंगरौली (काशीवार्ता)। क्रिटिकल केयर सोसाइटी आँफ इंडिया द्वारा इंदौर में आयोजित 24 से 26 फरवरी तक आयोजित तीन दिवसीय कन्वेशन में नेहरू शताब्दी चिकित्सालय जयंत एनसीएल सिंगरौली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एमडी क्रिटिकल केयर) डा. पंकज कुमार को आमंत्रित कर सम्मानित किया गया। इस मौके पर देश – विदेश के सैकड़ो विशेषज्ञ मौजूद रहे। सम्मेलन में डॉ. पंकज कुमार ने बताया कि आईसीयू में पेट की आपात स्थित को संभालना बहुत मुश्किल होता है। पुरानी गाइड लाइन के अनुसार अगर मरीज शॉक में है तो 20-30 मिली. प्रति किलो तरल पदार्थ दे। यह हृदय या श्वसन संबंधी समस्याओं वाले रोगियों में बहुत सारी समस्याएं पैदा करता है। ऐसे रोगीं को लक्ष्य निर्देशित तरल पदार्थ ही दिया जाना चाहिए। जो बीपी ब्लड प्रेशर में वृद्वि और द्रव प्रतिक्रिया द्वारा निर्देशित होता है। उचित हाइडेज्शन का आकलन करने के लिए अल्ट्रासाउन्ड द्वारा कार्डियक गतिविधि और स्ट्रोक वाल्यूम में सुधार की निगरानी करना अभी भी बेहतर है। यह कार्डियोपल्मोनरी जटिलताओं फुफफुसीय एडिया कार्डियक अतालता और श्वसन संकट के जोखिम को बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि पुरानी गाइड लाईन को बदलने का समय आ गया है। हमें उपचार के दौरान मरीज के सिस्टम को लक्ष्य बनाकर उपचार करना चाहिए। आइसीयू का तरीका अलग है जिसमें मरीज का अल्ट्रासाउंड द्वारा कर्डियक गतिविधि और स्ट्रोक वाल्यूम मे सुधार की निगरानी करके हार्ट की स्थिति का अवलोकन किया जाता है। यदि बीपी बढ़ रहा है और वेन्स फैली हुई है तो और अधिक पानी चढ़ाने की जरूरत नही है। वरना हार्ट और लंग्स की प्राब्ॅलम हो सकती है। कन्वेशन में उपस्थित विशेषज्ञो ने अलग – अलग विषय पर अपना शोध प्रस्तुत किया।