‘कोर्ट के आदेश के बाद भी राहुल गांधी नहीं मांग रहे माफी, ये उनका अहंकार है’, हिमंत बिस्वा सरमा का वार


मानहानि मामले में सूरत कोर्ट से दोषी पाए जाने के बाद राहुल गांधी को 2 वर्षों की सजा सुनाई गई थी। हालांकि, राहुल गांधी को जमानत अभी तुरंत दे दी गई थी। लेकिन इस सजा की वजह से राहुल गांधी को अपनी लोकसभा सदस्यता गवानी पड़ी है। इसको लेकर विपक्षी दल जबरदस्त तरीके से केंद्र सरकार पर हमलावर है। इन सबके बीच भाजपा साफ तौर पर इसे लेकर राहुल गांधी और कांग्रेस पर पलटवार कर रही है। भाजपा साफ तौर पर कह रही है कि राहुल गांधी ने पूरे ओबीसी समुदाय का अपमान किया है। इन सबके बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का भी बयान सामने आया है। पूरे मामले पर हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि सूरत कोर्ट ने ओबीसी समुदाय के पक्ष में अपना फैसला सुनाया है। 

असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि कोर्ट ने OBC समुदाय के पक्ष में फैसला सुनाया है। कभी-कभी संबोधन में गलत शब्द निकल जाते हैं, परन्तु मैं ऐसा होने पर माफी मांगता हूं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने 5 साल में किसी से माफी नहीं मांगी। कोर्ट के आदेश के बाद भी माफी नहीं मांग रहे, ये उनका अहंकार है। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि राहुल गांधी को भारत सरकार ने अयोग्य नहीं ठहराया है। उन्हें न्यायालय द्वारा दोषी ठहराया गया है क्योंकि उन्होंने अपने भाषण में ओबीसी समुदाय के खिलाफ असंसदीय, मानहानिकारक शब्दों का प्रयोग किया था और न्यायालय के फैसले के परिणामस्वरूप उन्हें अयोग्य घोषित किया गया है। यह एक न्यायिक प्रक्रिया है और इसमें कुछ भी राजनीतिक नहीं है। 

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि राहुल गांधी को लालू प्रसाद यादव का श्राप लगा है। जब चारा घोटाले में आदेश आया था और लालू प्रसाद की सदस्यता जाने वाली थी। उस समय राहुल गांधी उनसे नहीं मिलते थे…राहुल गांधी ने तब ऐसे मामले में अपील के प्रावधान से संबंधित अध्यादेश को फाड़ दिया था। लालू जी ने उस समय राहुल गांधी को श्राप दिया था। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा कि मोदी किसी जाति का नाम नहीं है ये पिछड़े वर्गों के सम्मान का टाइटल है जिसने गांधी और कांग्रेस को चुनौती दी। 4 साल बाद न्यायालय ने फैसला दिया और आपकी सदस्यता गई तो जब कागज़ फाड़कर 2 साल की बात कर रहे थे तब आपको याद रखना चाहिए था कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है।