छात्रों के जीवन को सार्थक बनाना ही है देवा संस्थान का मूल उद्देश्य


वाराणसी(काशीवार्ता)। देवा संस्थान के चेयरमैन श्रीप्रकाश सिंह ने वर्षों पूर्व इस संस्थान की नींव रखी। जो आज वटवृक्ष का रूप धारण कर चुका है। इसके पीछे उनकी मंशा साफ थी। उनका उद्देश्य लोगो के जीवन को सार्थक बनाना था, जिसके लिये आपने जो भी बन पड़ा किया। कभी पैसे का मुँह नहीं देखा। छात्रो के उज्ज्वल भविष्य के लिए जैसी भी शिक्षा की जरुरत हुई आपने उसकी कमी पूरी की। यहां बी काम, बी एससी, बीए, पीएमसी, समाजशास्त्र, अर्थ शास्त्र के अलावा आई आई टी, इलेक्ट्रिक, फिटर की पढ़ाई होती है। यही नहीं, बेलवा बाबा, लमही स्थित देवा संस्थान के अन्तर्गत देवा आईटीआई, देवा संस्कार इंग्लिश स्कूल व हॉस्टल, महिला महाविद्यालय भी है। पांडेयपुर से तीन किमी दूर एक विशाल परिसर में फैले इस कॉलेज में छात्रो के लिए बड़ा ही रमणीय वातावरण है।


चेयरमैन श्रीप्रकाश सिंह ने ‘काशीवार्ता’ प्रतिनिधि को बताया कि हमारा मुख्य उद्देश्य शुरू से ही जीवन को सार्थक बनाना रहा। सार्थक का मतलब, खुद के लिए, परिवार, समाज व देश के लिए अपनी उपयोगिता सिद्ध करना है। जो संस्कारयुक्त शिक्षा के बिना संभव नहीं है। शास्त्रों में भी बताया गया है कि, ज्ञान दान से बड़ा कोई और दान नहीं है। यदि हर व्यक्ति ज्ञान से परिपूर्ण हो जाए तो देश का कल्याण होने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने बताया कि शिक्षक जो किसी भी संस्थान के उद्देश्य को पूरा करने के लिए अपना जी जान लगाता है। यदि शिक्षक ज्ञान के साथ ही आत्मविश्वास से भरा हो तो विद्यार्थी का जीवन सार्थक बनने से कोई ताकत नही रोक सकती। शिक्षक ही हमारी नयी पीढ़ी में व्यक्तित्व, अपनी संस्कृति और राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना जगा सकता है।
महिला पढ़ेगी तो परिवार बढ़ेगा
चेयरमैन ने बताया कि महिला उत्थान की बाते बार बार मेरे कानो में सुनायी देती थी। मगर उनके उत्थान जैसा कुछ दिख नहीं रहा था। तब मैंने ठाना अब इसके लिये मुझे ही कुछ करना चाहिए। शहर से दूर ग्रामीण इलाके में जहां लोग लड़कियों को स्कूल भेजना भी गवारा समझते हैं। मैने महिला महाविद्यालय खोलकर इस धारणा को बदलने के लिए काफी प्रयास किया। नतीजतन आज हमारे यहां से शिक्षा ग्रहण करने वाली लड़कियों में जहां योग्यता का समावेश हुआ वहीं उन्हें अपनी ताकत का अहसास भी हो गया। उनके जीवन में सुधार व उनके उत्थान के लिए ये बहुत जरुरी था। एक बात तो साफ है कि जब महिला पढेगी तो परिवार समझदार होगा। समाज व राष्ट्र आगे बढ़ेगा।‘