वाराणसी। नगर निगम में कड़क नगर प्रमुखों का ऐसा दौर भी रहा है जो अपनी अनुशासन प्रियता के लिए जाने जाते थे जिनके कार्यकाल में कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति प्राप्त किए उनसे नहीं मिल सकता था। ऐसे में एक अधिकारी द्वारा 26 जनवरी 1994 में नगर प्रमुख का इंतजार किए बिना झंडा फहराने पर सदन ने प्रस्ताव पास कर अधिकारी का ट्रांसफर करा दिया था। बताया जाता हैं कि वर्ष 1994 में कांग्रेस के नगर प्रमुख मुहम्मद स्वाले अंसारी थे जिनके बारे में बताया जाता है कि वह अपने यहां आने वाले आगंतुकों को नाश्ता भी अपने घर से मंगवा कर कराते थे नगर निगम के नजीरात विभाग से एक पैसा नही लेते थे । घटना 26 जनवरी 1994 गणतंत्र दिवस की थी। झंडा फहराने का समय 8:30 तय था मौके पर अपर नगर आयुक्त रवींद्र नाथ मिश्रा और सभासद खड़े थे तभी किसी ने इस बात की अफवाह उड़ा दी की नगर प्रमुख नहीं आ पाएंगे झंडे का समय बीत रहा था उस पर अपर नगर आयुक्त ने जैसे ही झंडा फहराया तभी सामने से महापौर की गाड़ी 1 मिनट लेट के अंतराल पर आ पहुंची। नगर प्रमुख ने कुछ कहा वे अपने कार्यालय में चले गए। एक हफ्ते तक अपने कार्यालय के कर्मचारियों से उन्होंने बात नहीं की सदन में इस बात को लेकर प्रस्ताव आया और सदन की सहमति से नगर प्रमुख के अपमान के मुद्दे पर प्रस्ताव पास हुआ और अपर नगर आयुक्त का ट्रांसफर कर दिया गया। यह बात अलग है की शासन ने सदन के इस अधिकार में कटौती कर दी। अब केवल सदन प्रस्ताव पास कर सकता है उसको स्वीकृत करने का अधिकार शासन ने अपने पास निहित कर लिया है। अब पार्षद सदन के माध्यम से किसी अधिकारी का ट्रांसफर नहीं करा सकते ।