… जब भैंसे की मौत पर मिनी सदन कई दिन तक रही गरमाई


वाराणसी(काशीवार्ता)। नगर निगम के इतिहास में कई बाते ऐसी रही जिनमे कूड़ा गाड़ी खींचने वाले भैंसा की मौत पर तत्कालीन सभासदो ने जम कर बवाल काटा था जबकि आज कांजी हाउस में बंद बेसहारा गोवंशो की मौत पर भी अब चलने वाली सदन में कभी कोई चर्चा होती नहीं दिखाई देती। गौरतलब है कि पहले नगर निगम में जब आधुनिक संसाधन नहीं थे तो कूड़ा घरों से कूड़े के निस्तारण के लिए भैंसा गाड़ी का प्रयोग किया जाता था। इसके लिए बकायदा उनको रखने के लिए नगर निगम ने अलग अलग क्षेत्रों में जगह तय कर रखी थी। अलग अलग गलियों मोहल्लो से कूड़ा लाकर कूड़ा घरों में डंप किया जाता था जिसको उठाने के लिए भैंसा गाड़ी का प्रयोग होता था वर्ष 1972 की घटना है। उस समय तत्कालीन नगर प्रमुख भाजपा के पुरन चंद पाठक थे। उस समय अचानक शहर के कई हिस्सों में नगर निगम के भैंसा गाड़ी के भैंसो के मरने की घटना प्रकाश में आई, जिस पर तीन दिन तक सदन मैं अन्य सारे प्रस्तावों को दरकिनारे करके सभासदों ने जमकर हंगामा काटा था और सदन नही चलने दी थी। उनका आरोप था कि सही ढंग से भूसा दाना और पानी न मिलने के कारण इन जानवरों की मौत हुई है जबकि नगर महा पालिका के अधिकारी इस बात से इंकार करते रहे। सदन के निर्देश पर नगर स्वास्थ अधिकारी के अधीन एक जांच कमेटी का गठन किया गया जिसमे इन जानवरों को समय से
भूसा पानी ना देने का मामला सामने आया और दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कारवाई की गई थी । उस समय काशी के नागरिकों के बीच सभासदों द्वारा पशुओं के प्रति संवेदना व्यक्त करने को लेकर
जोर दार तारीफे हुई जबकि आज की सदन में ऐसे कोई प्रस्ताव जनता के
सामने उद्धरण बन कर नहीं आता जिससे जनता गौरव का अनुभव करे। अब केवल सड़क सीवर नाली की
बाते ज्यादातर प्रस्तावों में होती नजर आती हैं।