वाराणसी (काशीवार्ता)। विश्व जनसम्पर्क दिवस 2023 के उपलक्ष्य में पब्लिक रिलेशन्स सोसाइटी आफ इण्डिया, वाराणसी चैप्टर द्वारा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के सहयोग से पत्रकारिता विभाग सभागार में गुरूवार को “राष्ट्रीय जनसम्पर्क दिवस कार्यक्रम व संगोष्ठी” का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम 20 से 24 अप्रैल तक पूरे भारत में 27 स्थानों पर आयोजित किये जा रहे हैं।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. (डॉ) वी के शुक्ला के सानिध्य में विस्तारित विमर्श व संगोष्ठी का आयोजन किया गया। अपने उद्बोधन में प्रो. शुक्ला ने कहा कि कार्यों और संवाद से जनसंपर्क बनता है। जनसंपर्क एक आईने के सामान है जो कि व्यक्ति और संस्थान की उपयुक्त छवि सबके सामने रखता है। यह लोगों को जोड़ने का सबसे प्रभावी माध्यम है. उन्होंने भारत द्वारा जी-20 अध्यक्षता के दौरान भारतीय मूल्यों को विश्व पटल पर रखने और सत्य, अहिंसा व करुणा के माध्यम से वसुधैव कुटुम्बकम का सिद्धांत वैश्विक स्तर पर प्रतिपादित करने का सुनहरा अवसर बताया। प्रारंभ में मुख्य अतिथि व गणमान्य अतिथियों ने महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में पब्लिक रिलेशन्स सोसाइटी आफ इण्डिया, वाराणसी चैप्टर के चेयरमैन अनिल के. जाजोदिया ने कहा कि जनसंपर्क न केवल समूह या संस्थान बल्कि हर व्यक्ति के लिए बड़ा महत्वपूर्ण है। हमारे कार्यों और संपर्क से ही हमारी छवि का निर्माण होता है और लोग उसी के अनुरूप हमारा आंकलन करते है।
इस अवसर पर जनसम्पर्क के विभिन्न क्षेत्रों से दो अग्रणी हस्तियों यशवन्त कुमार, जनसंपर्क महाप्रबंधक – हिण्डल्को रेनूकूट एवं प्रो. शोभना निर्लेकर, विभागाध्यक्ष – पत्रकारिता एवं जनसम्पर्क विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को जनसंपर्क सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया. जनसंपर्क सम्मान से विभूषित प्रो. शोभना निर्लेकर ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि ईमानदारी और अच्छी साख हमारे जनसंपर्क को प्रभावी बनाती है। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता प्रो राम मोहन पाठक, पूर्व कुलपति दक्षिण भारतीय हिन्दी संस्थान ने कहा कि स्वयं की चेतना से संपर्क और लोगों से सही संवाद जीवन का अटूट कार्य है। छात्र-छात्राओं द्वारा शोध पत्र भी प्रस्तुत किये गए जिनमें उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए जिज्ञासा मिश्रा, सिमरन ठाकुर, नेहा वर्मा, प्रिया नागर और रंजीत राय को विशेष पुरस्कार प्रदान किये गए. साथ ही दीक्षा विश्वकर्मा, अनुज्ञा अस्थाना, राखी शर्मा, भंवर लाल, स्मृति राय आदि ने भी शोध पत्र प्रस्तुत किए। सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किये गए। संचालन कार्यक्रम निर्देशक प्रो. बाला लखेंद्र व संयोजन डॉ अंकुर चड्ढा व डॉ प्रभाशंकर मिश्र एवं धन्यवाद प्रकाश सोसाइटी के सचिव प्रदीप कुमार उपाध्याय द्वारा किया गया। इस अवसर पर प्रो अनुराग दवे,ज्ञानेंद्र पाध्याय, डॉ मनोहर लाल, महेश सेठ, बरेका के सहायक पीआरओ मोहम्मद सिदिक्ली, धर्मेंद्र त्रिपाठी ,प्रशांतकुमार सहित विश्वविद्यालय व विभाग के छात्र उपस्थित रहे।