वाराणसी (काशीवार्ता)। स्वामी विवेकानन्द का मानना था कि मानव दिमाग बहुत ही अद्भुत है, जो इंसान इसकी शक्ति को पहचान लेता है, वह कुछ भी कर सकता है। उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है। आमघाट गाजीपुर के मूल निवासी स्व. रामसकल सिंह व स्व.राजेश्वरी देवी के पुत्र डॉ.अशोक कुमार सिंह ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया। प्रारंभिक शिक्षा गाजीपुर से करने वाले डा. सिंह ने रांची विश्वविद्यालय से एमबीबीएस किया। बोकारो जनरल हॉस्पिटल में 1980 से 1989 तक जनरल फिजिशियन के रूप में नौकरी की। 1990 में उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य सेवा में चयनित होने पर वे वाराणसी आ गए और काशी विद्यापीठ ब्लाक पर चिकित्सक के रूप में 1995 तक तैनात रहे। इस दौरान आये दिन स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल होती थी, जिससे मरीजों को भारी परेशानी झेलनी पड़ती थी। यह सब देखते हुए 28 अप्रैल 1993 को उन्होंने सिंह मेडिकल एण्ड सर्जिकल सेंटर की स्थापना की। 1995 में नौकरी से त्यागपत्र देते हुए वे अपनी पूर्ण कालिक सेवा अस्पताल में देने लगे और आज मलदहिया स्थित सिंह मेडिकल एक ऐसा नाम है, जो हर किसी की जुबान पर है।
‘काशीवार्ता’ प्रतिनिधि से वार्ता करते हुए डा. अशोक सिंह ने कहा, शुरूआती दौर में मुझे अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कभी पुलिस की धौंस तो कभी न्यायिक अधिकारियों का दबाव। कभी कभी स्थानीय लोगों का तांडव भी झेलना पड़ा, लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी। उन्होंने बताया, जब सिंह मेडिकल एण्ड सर्जिकल सेंटर की स्थापना की तो उस वक्त यहां गिनती के एक दो निजी अस्पताल थे। जहां सड़क दुर्घटना व गोली, चाकू, जहरखुरानी के मरीजों का इलाज नहीं होता था। ऐसे लोगों को सर सुंदरलाल चिकित्सालय (बीएचयू) या शिव प्रसाद गुप्त चिकित्सालय, कबीरचौरा ले जाया जाता था, जहां अक्सर चिकित्सकों के न होने पर पीड़ित व्यक्ति की जान चली जाती थी। इसे देखते हुए मैंने अपने यहां आकस्मिक सेवाओं को शुरू किया, जो पूर्वी उत्तर प्रदेश व पश्चिमी बिहार में आकस्मिक चिकित्सा का केंद्र बना। इसका उदघाटन पूर्व प्रधानमंत्री स्व.चंद्रशेखर सिंह ने किया। अस्पताल के शुरू होने पर जिले में सड़क दुर्घटना, इनकाउंटर में घायल अपराधी, गोली लगने, चाकू व जहर खुरानी के पीड़ित मरीज लाये जाते थे, जिनका इलाज शुरू कर मेडिको लीगल व पुलिस की भी कार्रवाई साथ ही साथ की जाती थी।
शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका
डॉ.सिंह ने कहा, अपने बच्चों की शिक्षा के लिए जब मुझे भटकना पड़ा तथा जनपद में एक भी अच्छा विद्यालय नहीं मिला, तब मैंने खुद एक विद्यालय की स्थापना करने का निर्णय लिया। मैंने एक ही छत के नीचे बच्चों को नर्सरी से लेकर उच्च शिक्षा देने की व्यवस्था की। इसके लिए ‘जीवनदीप शिक्षण समूह’ की स्थापना की। यहां नर्सिंग कोर्स, एमबीए कोर्स तथा अन्य टेक्निकल कोर्स की भी शिक्षा दी जाती है।
सामाजिक कार्यों में बड़ा योगदान
डॉ.अशोक एक कुशल चिकित्सक व शिक्षक के साथ ही सामाजिक कार्यों में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने लगे। जिससे वाराणसी सहित आस पास के जिलों में इनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी।वे लायंस क्लब अंतर्राष्ट्रीय संस्था के सदस्य बने। 2013-14 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर, 2014-15 में मल्टीपुल काउंसिल के चेयरमैन रहे। इस दौरान उन्होंने संगठन का कार्य कुशलता पूर्वक पूर्ण किया। इसके अलावा जिले में आपदा के समय गरीबों की सहायता के लिए ठंड में कंबल वितरण, बाढ़ में राहत सामग्री का वितरण एवं संक्रामक बीमारियों के दौरान सहायता शिविर एवं दवा का वितरण भी किया। डॉ. सिंह ने नेशनल कैरम फेडरेशन का उपाध्यक्ष बनने के बाद खेलों के विकास के लिए भी प्रयास किया। समय-समय पर कैरम, क्रिकेट, हाकी, फुटबाल सहित तमाम टूर्नामेंट कराये। साथ ही समय समय पर खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता भी प्रदान करते रहते हैं।