वाराणसी (काशीवार्ता)। एक समय था जब भारत पर टीबी एक बहुत बड़ा बोझ था, लेकिन सरकार की बेहतरीन योजना, महत्वाकांक्षा और गतिविधियों के कार्यान्वयन से आज इस बीमारी से लड़ना बहुत आसान हो गया है। मेरे जैसे टी.बी के प्राइवेट प्रक्टिस्नर का काम तो और भी ज्यादा आसान हो गया हैं। इसमें सबसे महत्वपूर्ण काम मरीज का जागरूक होना है। जिसमें सरकार को सफलता मिली है। उक्त बातें ब्रेथ ईजी हास्पिटल के एमडी डा. एसके पाठक ने काशीवार्ता से कही। हालांकि ब्रेथ ईजी द्वारा समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम कराये जाते हैं, जिसमें नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर, परेडियो टॉक, जागरूकता रैली निकाली जाती है। टीबी पर हम 80% ही सफल हो चुके हैं, सिर्फ 20% ही बाकीं है।
डा. पाठक पिछले 25 साल की अपनी प्रैक्टिस में हजारों मरीजों का इलाज कर चुके हैं। आप गरीब मरीजों के लिए ब्रेथ ईजी में प्रत्येक शुक्रवार को नि:शुल्क ओपीडी एवं जांच में अधिकतम छूट की व्यवस्था देते हैं। पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद पिछले दिनों वाराणसी में वन वर्ल्ड टीबी शिखर सम्मेलन को संबोधित किया था। सनद रहे कि भारत ने टीबी के खात्मे के लिए 2025 का लक्ष्य निर्धारित किया है। राष्ट्रीय रणनीतिक योजना 2017-2025 के अंतर्गत भारत में 2025 तक प्रति लाख जनसंख्या पर 44 नए टीबी मामलों या कुल 65 मामलों की रिपोर्टिंग का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। परन्तु इसे जड़ से मिटाने के लिए जरुरत से ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। जिसके लिए दुनिया भर से टी.बी विशेषज्ञों को एकजुट होकर मास्टरप्लान बनाना होगा, जिसमे हर सिंगल मरीज की मानिटरिंग होनी चाहिए। ताकि वो एक सिमित समय में सही हो जाए तथा उसके बैक्टीरिया किसी और को टी.बी का मरीज न बना पाए। डा. एसके पाठक की बेटी डा. साक्षी पाठक और बेटा डा. स्वप्निल पाठक दोनों ही डॉक्टर हैं। दोनों बच्चों के साथ ही आपकी पत्नी डॉ. सुनीता पाठक भी इस अभियान में मदद करतीं हैं।