भाइयों की कर्मठता का परिणाम है सेंट्रल एकेडमी


वाराणसी(काशीवार्ता)। चतुर्वेदी टाइपराइटिंग संस्थान (गिरजाघर) के अधिष्ठाता पं. कमलेश चतुर्वेदी के बड़े बेटे अनन्त चतुवेदीं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से एमएससी (1986) व मॉस कम्यूनिकेशन की पढ़ाई करने के बाद आइएएस की तैयारी कर रहे थे। तभी टाइपराइटर युग का अंत हो गया। परिवार की स्थिति नाजुक दौर से गुजर रही थी। अचानक अनंत के मन में एक धुन शिक्षा की अलख जगाने की जगी, जिसे उन्होंने परिवार की पहचान व मुकाम दोनों बनाने की जिद ठान ली। यह दौर था वर्ष 1993 का। इरादे बुलंद किन्तु पास में धेला नहीं। ऐसे में जैसे तैसे चतुर्वेदी ग्लास व प्लाइवुड के नाम से एक दुकान खोली। जो इस परिवार को आगे ले गई। लेकिन युवक कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष व केन्द्रीय जेल के विजिटर रहे आनन्द चतुर्वेदी हार नहीं माने। एक दिन बड़े भाई से विमर्श हुआ और यह तय हुआ कि जो भी करना है पूरे मनोयोग के साथ करना है। बस फिर क्या था ललक तो अनंत के मन में भी थी ही। उन्होंने सेंट्रल एकेडमी नाम से एक स्कूल की शुरूआत की। जो आज अपनी ऊचाइयों पर पहुंच चुका है। इस अनथक यात्रा में कदम से कदम मिलाकर साथ चलने वाली अपनी हमसफर श्रीमती सुमन चतुर्वेदी (निदेशक) व श्रीमती मधु चतुर्वेदी (निदेशक) को दोनों भाई पूरा सम्मान देते हैं।

उनका कहना है इन्होंने हर मुश्किल वक्त में हमारा साथ दिया है। अब तो परिवार में नई पीढ़ी भी साथ देने लगी है। कृतेष (एमबीए), रिषान्त (एमबीए), रिषिका (बीटेक) व रिषभ (बीबीए)। सभी अपना पूरा सहयोग देते हैं। हालांकि दोनों भाई अपने बच्चो से यही उम्मीद रखते हैं कि वे जहां भी जाएं अपने परिवार व संस्थान के अलावा पितृ पुरूष स्व.कमलेश चतुर्वेदी के सिद्धान्तों व आदर्शों पर चलने का प्रयास करें।
4 शाखाएं संचालित 5वें की तैयारी
दोनों भाइयों ने मिलकर सेन्ट्रल एकेडमी की पहली शाखा गिरजाघर क्षेत्र में शुरू की। यही से शुरू हुआ इनका एक नया सफर। आज सेंट्रल एकेडमी की शाखायें गिरजाघर के अलावा रामापुरा, गुरुघाम व सामने घाट में पूर्ण वातानुकूलित भवनों व आधुनिकतम संसाधनों के साथ चल रही हैं। आपने हाल ही में सिंधोरा में एक लाख स्क्वायरफीट के विशाल परिसर में एक नया शिक्षा संकुल निर्मित किया है, जिसे जल्द ही शुरू किया जाएगा।