वाराणसी। महादेव की नगरी काशी में कई महत्वपूर्ण शिव मंदिर हैं। सभी पर सावन में व्यवस्थाओं को लेकर आगामी 27 जून को एक समीक्षा बैठक भी मंडलायुक्त ने बुलाई है, जिसमें व्यवस्था और सुरक्षा पर चर्चा होगी। द्वादश ज्योतिलिंर्गों में से एक श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में सावन को लेकर तैयारियां शुरू हो गईं हैं। हर बार की तरह इस बार भी धाम में आने वाले भक्तों का स्वागत रेड कार्पेट से होगा। वहीं नई व्यवस्था के अनुरूप सभी चारों द्वार पर महादेव के भक्तों पर पुष्प वर्षा की जाएगी। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम बनने के बाद बाबा के दर्शन करने के लिए लाखों लोग हर दिन सावन में दर्शन कर महादेव का आशीर्वाद लेते हैं। मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ सुनील वर्मा ने बताया कि महादेव के अतिप्रिय माह सावन में उनके धाम में आने वाले भक्तों की सुविधा-सुरक्षा और प्रवेश-निकास को लेकर रणनीति बनाई गई है। इस रणनीति के अनुरूप कार्य किया जा रहा है। 4 जुलाई से शुरू हो रहे सावन के पहले सभी तैयारियां पूरी कर ली जाएंगी। मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बताया कि हर वर्ष की तरह गोदौलिया, मैदागिन, दशाश्वमेध व गंगा घाट से आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए आने जाने का मार्ग तय कर दिया गया है, जो भक्त जिस मार्ग से प्रवेश करेगा उसी से उसे निकास भी मिलेगा। साउंड सिस्टम से लैस सुविधा और सहायता केंद्र बनाए गए हैं। डॉ सुनील वर्मा ने बताया कि भक्तों को कड़ी धूप और बारिश से बचाने के लिए पहले ही धाम में जर्मन हैंगर लगाया गया है। इसके अलावा पूरे धाम में जगह-जगह भक्तों के बैठने की व्यवस्थाएं और शीतल पेयजल का इंतजाम किया जा रहा है। पूर्व में जो व्यवस्थाएं हैं, उन्हें भी दुरुस्त किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मंदिर के आंकड़ों के अनुसार जून में एक दिन में औसतन एक लाख श्रद्धालु दर्शन के लिए बाबा के दरबार में पहुंच रहे हैं। शनिवार, रविवार और सोमवार को यह संख्या डेढ़ लाख से पौने दो लाख तक पहुंच रही है। बारिश के बाद जब मौसम ठंडा होगा तो श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा होगा। श्रीकाशी विशवनाथ धाम बनने के बाद महादेव के दर्शन करने वाले भक्तों की संख्या बढ़ी है। पिछले साल सावन के सोमवार को महादेव के भक्तों की संख्या 6 लाख के पार पहुंच गई थी। ऐसे में इस वर्ष भी श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने के अनुमान है। सावन माह में वीवीआईपी मूवमेंट भी रहता है। पूरे देश से वीवीआईप महादेव के दर्शन को आते हैं। ऐसे में श्रद्धालुओं को असुविधा से बचाने के लिए गंगा द्वार से वीवीआईपी लोगों को दर्शन करवाया जाएगा। इसके लिए अस्सी और राजघाट से रुट मैप बनाया जा रहा है।