वाराणसी(काशीवार्ता)। मुस्लिम बंधुओं में तीस रोजे पूरे करने के बाद आने वाली ईद की खुशी के मौके पर इस वर्ष उदासी का माहौल है। अल्लाह पाक की तरफ से इनाम में दी गयी ईदगाहों में पढ़ी जाने वाली दो रकत ईदुल फित्र की नमाज इस बार घरों में पढ़ी जाएगी। कारण है। कोरोना महामारी के चलते देश मे लगा लॉकडाउन। इस्लाम का सबसे बड़ा त्योहार और रोजेदारों की सबसे बड़ी खुशी ईद की दो रकत विशेष नमाज है न कि नए कपड़े, चप्पल इत्यादि। जब ईदगाहों और मस्जिदों में नमाज ही नही पढ़ी जा सकती तो कैसी खुशी और कैसा त्योहार? यही वजह है लॉक डाउन 4 में दुकानें खोले जाने के बावजूद मुस्लिम बंधुओं ने खरीदारी से बिल्कुल परहेज किया। यहां तक कि बनारस की सबसे बड़ी मंडी दालमंडी के अधिकतर दुकानदारों ने ईद से पहले दुकान खोलने से ही मना कर दिया। साथ ही काम बंद जेब खाली के कारण ईद की विशेष पकवान सेवईं की बिक्री भी प्रभावित हुई। जिन घरों में खाने – खिलाने और बांटने हेतु पांच किलो सेवईं पका करती थी, उन्होंने एक से दो किलो में ही काम चलाने का फैसला किया। मदनपुरा के 77 वर्षीय हाजी अबुल आसिम सहित अनेक बुजुर्गों ने बताया कि हमारे जीवन की ये ऐसी पहली ईद होगी जब हम ईदगाह में नमाज को नही जा सकेंगे। उनके अतिरिक्त अन्य लोगों ने भी शासन प्रशासन द्वारा ईद की नमाज के लिए अनुमति न देने पर सवाल खड़े किए और नाराजगी जताई। दूसरी तरफ प्रशासन भी मुस्लिम समाज के संभ्रांत नागरिकों के साथ बैठक कर ईद की नमाज घरों में ही पढ़ने के लिए लोगों को राजी करने और लॉक डाउन का मुकम्मल पालन करने की हिदायत की। इस सिलसिले में कल रात रेवड़ी तालाब पुलिस चौकी में क्षेत्राधिकारी और थानाध्यक्ष भेलूपुर की उपस्थिति में पीस कमेटी और मस्जिद के मुतावल्लियों की बैठक हुई जिसमें मस्जिद और ईदगाहों में केवल पांच आदमियों द्वारा ही ईद की नमाज अदा करने और बाकी सभी लोगों को घरों में नमाज अदा करने पर सहमति बनी। मुतावल्लियों ने पुलिस प्रशासन से ये कहते हुए पुलिस कर्मियों के तैनाती की मांग की कि आम लोग बात नही मानते और जबरन मस्जिदों में घुसने की कोशिश करते है। इस पर क्षेत्राधिकारी ने फोर्स लगाने का आश्वासन दिया। बैठक में अतीक अंसारी, सलमान शाहिद, हाफिज अबू हमजा, हाजी शाहिद जमाल, हाजी अनीस, फैसल, अब्दुल रशीद आदि प्रमुख रहे।