डीजे की धमक से हिल रहे सड़क किनारे भवनों के खिड़की-दरवाजे


वाराणसी (काशीवार्ता)। सावन माह में कांवरियों के डी.जे. के चलते सड़क के किनारे स्थित अस्पतालों और घरों में रहने वाले लोग पूरी पूरी रात नहीं सो पा रहे हैं। दिन के दौरान भी काँवरियों के डीजे का ध्वनि स्तर इतना ज्यादा है कि सड़क किनारे स्थित घरों, दुकानों और अस्पतालों के खिड़की दरवाजे हिलते हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने डी.जे. को जो अनुमति दी है उसके अनुसार रात 10 से सुबह 6 के बीच साउंड को 100% स्विच आफ करने का कानून है। साथ ही एक निश्चित सीमा से ऊपर वाला डी.जे. (दिन हो या रात), केवल साउंड प्रूफ सभागार में ही बजाया जा सकता है। ध्वनि पदूषण कानून व्यवस्था का मामला है और डीजे के तेज शोर के चलते, हार्ट अटैक और आपस में मारपीट के चलते तमाम मौतें हो रही हैं। मगर उदासीनता के चलते, डी.जे. का खुला आतंकवाद चल रहा है। ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ हेल्पलाइन चलाने वाली संस्था ‘सत्या फाउंडेशन’ के हेल्पलाइन नंबर 9212735622 पर कांवरियों द्वारा बहुत तेज डी.जे. के उत्पात से जुड़ी ढेरों शिकायतें आ रही हैं और ज्यादातर का कहना रहा कि हम लोग मोदी – योगी के समर्थक हिन्दू लोग हैं मगर धर्म की आड़ में सड़क पर ऐसी अराजकता और तालिबानी संस्कृति का प्रदर्शन असहनीय है। प्रभावी अंकुश हेतु ‘सत्या फाउण्डेशन’ के प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस आयुक्त को संबोधित पत्रक, अपर पुलिस आयुक्त (मुख्यालय व अपराध) संतोष कुमार सिंह को सौंपा। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल की बातों को गंभीरतापूर्वक सुना और आवश्यक कार्यवाही के लिए सभी जोनल डी.सी.पी. को पत्र लिखा है। प्रतिनिधिमंडल में जसबीर सिंह बग्गा, रविकांत पाण्डेय, एडवोकेट शशिकांत श्रीवास्तव और ‘सत्या फाउंडेशन’ के सचिव चेतन उपाध्याय शामिल थे।