मोदी की काशी से पूर्वांचल की धरती को संजीवनी दिलाएंगे बृजभूषण शरण सिंह


वाराणसी(काशीवार्ता)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘देश प्रथम’ की नीति पर आगे बढ़ते हुए बृजभूषण शरण सिंह ने परिवारवाद व जातिवाद से ऊपर उठकर अपने एक बड़े निर्णय से पूर्वांचल की मिट्टी को संजीवनी देने का कार्य किया है। भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए वाराणसी के संजय सिंह ‘बबलू’ को आगे कर उन्होंने इस भूमि के हजारों पहलवानों व उनके परिवारों में उम्मीद की एक नई किरण जगा दी है। स्थिति यह है कि युवाओं में उत्साह का संचार अभी से होने लगा है, उन्हें भविष्य में अपना सुनहरा करियर बनाने के लिए मजबूत जमीन भी दिखने लगी है। संजय सिंह के नामांकन के बाद से ही यहां खुशी का माहौल है। हर तबका इसे अपनी मिट्टी के लिए गर्व के रूप में ले रहा है। इससे पहले इतनी बड़ी उपलब्धि के बारे में पूर्वांचल के लोगों ने कभी सोचा भी नहीं था, ऐसा पहले कभी हुआ भी नहीं था।
वैसे तो वाराणसी पीएम मोदी की संसदीय सीट है, यहां कुछ भी होता है तो उसका जुड़ाव कहीं न कहीं उनसे ही रहता है। इस उपलब्धि में भी उनके प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता। बृजभूषण ने प्रधानमंत्री के संसदीय सीट से ‘बबलू’ को आगे कर यहां की धरती में एक और हीरा जड़ने का काम किया है। पूर्वांचल की धरती ने वैसे भी कई राष्टÑीय-अंतर्राष्टÑीय पहलवान देश को दिये हैं। पिछले एक दशक में कुश्ती के खेल में बड़ा परिवर्तन देखने को मिला है। बृजभूषण सिंह ने राजनीति में सांसद रहते हुए भी इस खेल के लिए दिन-रात एक किया हैं, यही कारण है कि पूर्वांचल की धरती से संजय सिंह को वे पिछले करीब डेढ़ दशक से लगातार आगे बढ़ाने का काम करते रहे। खुद संजय सिंह भी कुश्ती के लिए शुरू से समर्पित रहें। उन्होंने मिट्टी से कुश्ती को मैट पर लाने का काम बृजभूषण शरण सिंह के अध्यक्ष रहते कराया। संजय सिंह वैसे तो किसान परिवार से आते हैं और कृषि ही उनका मूल व्यवसाय है, जिसकी वजह से गांव, मिट्टी व पहलवानों से उनका जुड़ाव बराबर बना रहता है। गौर करने वाली बात है कि संजय के दिवंगत छोटे भाई आरएसएस में लम्बे समय तक कई दायित्वों पर रहे। संजय भी लगभग दो दशक से अधिक समय से बृजभूषण शरण के साथ रहते हुए भाजपा में सक्रिय हैं। नरसिंह यादव, मानसी यादव व पूजा यादव जैसी होनहार खिलाड़ी कुश्ती में हुए परिवर्तन का ही उदाहरण है। 12 अगस्त को चुनाव के बाद संघ की बागडोर संजय के हाथों में आते ही यहां की धरती के साथ ही अन्य राज्यों के खिलाड़ियों का एक सुनहरा दौर शुरू होगा, ऐसा सबको विश्वास है। संजय सिंह के मृदुभाषी व व्यवहार कुशल होने के साथ ही जुझारू व कर्मठी होने का फायदा भी निश्चित तौर पर सबको मिलेगा, ऐसी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
डेढ़ दशक से संघ में सक्रिय हैं संजय सिंह
संजय सिंह 2008 से ही वाराणसी कुश्ती संघ के जिलाध्यक्ष हैं। 2009 में वे प्रदेश कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष बनाये गये।

वर्तमान में वे वाराणसी के अध्यक्ष व कुश्ती संघ के राष्टÑीय संयुक्त सचिव हैं। इस अवधि में वे कई बार संघ की कार्य समिति में भी सम्मिलित रहें, इसके साथ ही उन्हें कई बार कुश्ती संघ का प्रतिनिधित्व करने के लिए विदेशों में भी जाने का मौका मिला है।