पृथ्वी पर जो भी है प्रभु के आशीर्वाद से है इसे अक्षुण रखने के लिए हम कृतज्ञ हो


वाराणसी(काशीवार्ता)। मूलाम्नाम सर्वज्ञपीठ श्री कांचीकामकोटि पीठाधिपति जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी शंकर विजयेंद्र सरस्वती महाराज ने कहा कि पृथ्वी पर जो भी है प्रभु के आशीर्वाद से है, उसे अक्षुण्ण रखने के लिए मनुष्य को कृतज्ञ होना चाहिए। प्रकृति ने जो कुछ भी दिया है, उसके साथ छेड़छाड़ नहीं करना चाहिए। वे मां गंगा के तट पर शिवाला स्थित चेतसिंह किला में उत्तर प्रदेश जर्नलिस्ट एसोसिएशन वाराणसी के आतिथ्य में आयोजित “सनातन संवाद- मीडिया समागम” कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सभी जन अपने-अपने इष्ट देव का सविधि स्मरण करते रहें। बाल्मीकि रामायण हमें जीवन जीने की कला सिखाता है। हमारे धर्म का आदर्श राम है, रामायण वेद का स्वरूप है। शंकराचार्य ने कहा कि काशी में चातुर्मास करने का निर्णय काशी के महत्व को देखते हुए लिया है। यहां तिरुपति तिरुमल संस्थानम के सहयोग से चतुर्वेद हवन का निर्णय लिया। वेद के 30 -30, 40- 40 मंत्रों से हवन विश्व शांति के लिए कियागया। कांची पीठ ने कश्मीर में शांति के लिए अनेक अनुष्ठान किया है। हम कश्मीर, भारत ही नहीं विश्व में शांति के लिए प्रयत्नशील हैं। कार्यक्रम का संचालन उपजा के निर्वाचित अध्यक्ष राजेंद्र कुमार दूबे तथा आभार प्रकाश हृदय नारायण पाण्डेय ने किया। इस दौरान उत्कृष्ट कार्य के लिए पत्रकारों को सम्मानित किया गया।