बनारस की पहचान बना स्टेनलेस स्टील पैलेस


वाराणसी (काशीवार्ता)। विश्वनाथ गली के बर्तन व्यवसायी स्व. विश्वनाथ अग्रवाल “विस्सु बाबू” व शैल देवी के घर 27 सितंबर (गीता जयंती) के दिन वर्ष 1953 में जन्मे राम मोहन अग्रवाल बचपन से ही मेधावी रहे। कक्षा 6 की पढ़ाई करते हुए हो वे साक्षी विनायक गणेश जी मंदिर के पास स्थित अपने पिता की दुकान में उनका सहयोग करने लगे। वे बचपन से ही आध्यात्मिक थे। पिछले सात पीढ़ियों से बर्तन का व्यवसाय करने वाले इस परिवार ने वर्ष 1963 में विश्वनाथ गली में 200 स्क्वायर फीट में स्टेनलस स्टील पैलेस नाम से एक बर्तन की दुकान शुरू की। यह शुरूआत विश्वनाथ प्रसाद अग्रवाल उर्फ विस्सू बाबू ने की। जिसके बाद सन् 1978 में रथयात्रा-महमूरगंज मार्ग पर स्टेनलेस स्टील पैलेस संस्थान का विस्तार किया। जिसे वर्ष 1973 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करने के बाद राममोहन अग्रवाल ने सँभाला। बाद में उनके 3 पुत्र हरिमोहन अग्रवाल, मनमोहन अग्रवाल व राज मोहन अग्रवाल के हाथ बटाने के बाद आज यह एक ब्रांड बन चुका है।राम मोहन कहते हैं, तीनों बेटों के नाम के प्रथम अक्षर से बना हमारा ब्रांड अब ग्राहकों की पसंद बन गया है। राम मोहन कहते हैं, बनारस में पहले स्टील के बर्तनों की सीमित वैरायटी हाय होती थी, लेकिन अब तमाम नई वैरायटी आ गई है। हमारे रथयात्रा स्थित शोरूम में स्टील की 10,000 वेरायटिया मौजूद है। भविष्य में हम अपने ग्राहकों को विशेष खरीदारी करने पर उपहार देने जा रहे हैं। राममोहन अग्रवाल ने बताया, कंप्यूटर में निर्धारित मूल्य में आॅटो डिस्काउंट दिया जाता है।हमारे यहां मुंबई और मद्रास से उच्च क्वालिटी का स्टैमिनेट स्टील लाया जाता है। स्टेनलेस स्टील में क्राकरी और गिफ्ट आइटम का विशेष संग्रह है। राम मोहन एक अच्छे लेखक भी हैं। अब तक उन्होंने 5 पुस्तकें लिखी है, जिसमें रास पंचामृत, आदर्श रामायण, विश्वनाथ वंदन श्रीमद्भभागवत महात्म, बनारस क घाट आउर गंगा क घाट जैसी प्रसिद्ध पुस्तकें शामिल हैं। आपकी लिखी 2 अन्य पुस्तकों का विमोचन जल्द होने वाला है। यही नहीं, आपकी शिव स्तुति यू ट्यूब पर काफी प्रसिद्धि बटोर रही है।
बर्तनों की ऐसी वेरायटी, जो मन मोह ले