वाराणसी (काशीवार्ता)। कोरोना संक्रमण का प्रवाह रोकने के लिए सरकार द्वारा लिया गया लॉकडाउन का निर्णय जानमाल की सुरक्षा के लिहाज से जितना निर्णायक रहा। उतना ही यह आर्थिक दृष्टि तथा व्यवसायिक गतिविधियों के लिए एक बड़ा बैरियर साबित हुआ। इसके चलते पर्यटन उद्योग को भी भारी नुकसान पहुंचा है। काशी के परिप्रेक्ष्य में देखे तो यहां पर्यटकों का आगमन बंद होने से इस व्यवसाय से जुड़े लोगों की रोजी-रोटी प्रभावित हो गयी है। यह कहना है वाराणसी होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष देवेन्द्र नारायण सिंह का। देवेन्द्र का कहना है कि कोरोना से उत्पन्न संकट से निपटने के लिए सरकार प्रयास कर रही है। हर सेक्टर को सरकार पैकेज मुहैया करा रही, लेकिन अभी तक उसका ध्यान पर्यटन उद्योग पर नहीं है। ऐसा उपेक्षात्मक रवैया ठीक नहीं। इससे पर्यटन उद्योग हतोत्साहित हो रहा है। अत: इस व्यवसाय को आर्थिक पैकेज देने की आवश्यकता है। ताकि दम तोड़ रहे इस उद्योग को संजीवनी मिल सके। उन्होंने कहा कि दुनिया के 25 फीसदी टूरिस्ट थाईलैण्ड जैसे छोटे से देश में जाते हैं जबकि भारत में मात्र 0.4 फीसदी ही आ पाते हैं। भारत में सांस्कृतिक, धार्मिक, हेरिटेज व एडवेंचर पर्यटन के लिहाज से बहुत स्कोप है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि हम इसका समुचित उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। कोरोना काल के बाद दुनिया बदल जायेगी इसके लिए पर्यटन उद्योग को भी तैयार रहने की आवश्यकता है। वाराणसी होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष देवेन्द्र नारायण सिंह ने शासन-प्रशासन से अनुरोध किया है कि इस महत्वपूर्ण उद्योग को भी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति से बचाने व इसे संभलने का मौका दिया जाये। यह तभी संभव है जब हमारी मांगों को पूरा किया जाए।