बाहुबली को टेलीकॉम से होती है करोड़ों की कमाई


(विशेष प्रतिनिधि)
वाराणसी (काशीवार्ता)। लखनऊ के आदेश पर पूर्वांचल के कई जिलों की पुलिस मऊ के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी के आर्थिक साम्राज्य को तोड़ने में जीजान से जुटी है। इसके तहत वाराणसी, गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़ आदि जनपदों में मुख्तार के गुर्गों की कुंडली खंगाली जा रही है। आर्थिक स्रोत का पता लगाया जा रहा है। लाइसेंसी असलहों का सत्यापन करा कर निस्तारीकरण की कार्रवाई की जा रही है। इन सबके बावजूद जानकारों का यह मानना है कि इन कार्रवाईयों से मुख्तार का कुछ बिगड़ने वाल नहीं है। मछली कारोबार हो या हाटमिक्स प्लांट ये सारे धंधे तो मात्र झीरा है। इससे होने वाली कमाई को शायद ही मुख्तार हाथ लगाते हों। जानकारों का कहना है कि गिरोह की असली कमाई दरअसल कई राज्यों में फैले मोबाइल टावरों से होती है। यह कमाई प्रतिमाह करोड़ों में है। जानकारी के अनुसार उप्र, हरियाणा, उत्तराखंड व पंजाब आदि राज्यों में मुख्तार के गुर्गों ने मोबाइल टॉवरों के रखरखाव का ठेका ले रखा है। इन टॉवरों की संख्या हजारों में है। प्रति टॉवर (ओ एंड एम) यानी आपरेशन व मैनेजमेंट के रुप में लम्बी रकम मुख्तार से जुड़ी कंपनियों को मिलती है। इसके तहत टेक्निशिनयन से लेकर सिक्योरिटी गार्ड, डीजल रिफलिंग आदि की व्यवस्था करना होता है। बताया जाता है हर टॉवर से बडेÞ पैमाने पर डीजल चोरी कर कालाबाजार में बेच दिया जाता है। कंपनियां सबकुछ जानते हुए भी चुप रहती है। आरोप यह भी है कि टॉवरों में बडेÞ पैमाने पर बिजली चोरी भी होती है। कटियामार कर सीधे कनेक्शन लिया जाता है। इसमें बिजलीकर्मियों की मिली भगत रहती है। जानकारी के अनुसार अब ज्यादातर मोबाइल कंपनियां (जियो को छोड़कर) इंडस नामक कंपनी का टॉवर इस्तेमाल करती हैं। इसी इंडस से मुख्तार के गुर्गों ने टॉवर का काम ले रखा है। बताया जाता है कि लगभग डेढ़ दशक पूर्व सन् 2004-05 के आसपास मुख्तार गिरोह टॉवर के धंधे में आया। शुरु-शुरु में यह गांवों में जमीन खरीद कर टॉवरों से मात्र किराया वसूलता था। गार्ड भी इन्हीं के आदमी होते थे। इसी बहाने गांव के आवारा व बेरोजगार युवाओं को भी खिला-पिला कर गिरोह में जोड़ लिया जाता था, जो चुनाव के वक्त पार्टी कार्यकर्ता के रुप में मदद करते थे। यहां भी बडेÞ पैमाने पर डीजल चोरी होत थी। इस प्रकार पूर्वांचल के गांव-गांव में मुख्तार गिरोह का लम्बा-चौड़ा आर्थिक व राजनीतिक साम्राज्य खड़ा हो गया। बेरोजगार युवा आका के एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। हाल के वर्षों में पूर्वांचल में घटित अनेक आपराधिक घटनाएं मुख्तार गिरोह से जुडेÞ बेरोजगार युवाओं के गैंग ने की।
टॉवरों से कमाई का चुनाव में उपयोग

कई राज्यों में फैले मुख्तार गिरोह के टॉवर उद्योग से होने वाली अकूत कमाई का उपयोग पूर्वांचल में होने वाले चुनावों में धड़ल्ले से उपयोग होता है। ग्राम पंचायत से लेकर लोकसभा चुनाव तक की फंडिंग इसी कमाई से होती है। इसी के चलते गांव-गांव में मुख्तार ने अपने आदमियों की फौज खड़ी कर दी।
बजरंगी से भी कभी हुआ था टकराव

कहावत है बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रुपैया। अण्डरवर्ल्ड में कहावत सौ प्रतिशत लागू होती है। मुख्तार असांरी के खास सहयोगी रहे तथा कृष्णानदं राय हत्याकांड में सह अभियुक्त माफिया मुन्ना बजरंगी का भी कभी मोबाइल टॉवरों को लेकर मुख्तार अंसारी से टकराव हुआ था। बताया जाता है कि टॉवरों से होने वाली अकूत कमाई की जानकारी जब बजरंगी को हुई तो उसने वाराणसी में अपने गुर्गे के जरिये इस धंधे में घुसपैठ की कोशिश की थी। जब इसकी भनक मुख्तार को हुई तो उसने मुन्ना की हर कोशिश को नाकाम कर दिया।
संचार मंत्री भी नहीं तोड़ पाये टॉवर नेटवर्क को

सन् 2014 में जब भाजपा की सरकार बनी और गाजीपुर से सांसद मनोज सिन्हा संचार राज्यमंत्री बनाये गये तो इस बात की उम्मीद बंधी थी कि कट्टर प्रतिद्वंदी मुख्तार गिरोह के मोबाइल टॉवर उद्योग पर अंकुश लगेगा। परन्तु ऐसा नहीं हो पाया। मुख्तार के धंधे पर रोक न लगा पाने के चलते भूमिहारों का एक बड़ा वर्ग संचार राज्यमंत्री से अंदर ही अंदर नाराज हो गया। जिसकी भारी कीमत मनोज सिन्हा को 2019 के चुनाव में चुकानी पड़ी।