कैदियों से भी बदतर हो गई कोरोना संक्रमितों की दशा


(आलोक श्रीवास्तव)
वाराणसी (काशीवार्ता)। वैश्विक महामारी कोरोना के आगे जहां दुनिया नतमस्तक है वहीं भारत जैसे विकासशील देश में चिकित्सकीय व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में सरकारी अस्पतालों में भर्ती कोरोना संक्रमित मरीजों का बुरा हाल है। आलम यह है कि जरूरत की वस्तुओं के लिए भी मरीज तरस रहे हैं, वहीं उन तक वस्तुए पहुंचाने के लिए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सुविधा शुल्क ले रहे हैं। खाद्यान्न वअन्य वस्तुएं पहुंचाने के लिए परिजनों से पचास से सौ रुपये तक की वसूली की जा रही है। यह हाल है पं.दीनदयाल के सपनों को साकार करने वाले जिला अस्पताल पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय का। यहां बने एनआरसी वार्ड में रखे गए पॉजिटिव मरीजों की जिंदगी पूरी तरह से कारागार सरीखी हो गई है। सरकार द्वारा मरीजों को दी जाने वाली सुविधाएं जिम्मेदारों की फाइल, रजिस्टर व कागजों तक सिमट कर रह गई है। स्वास्थ्य जांच से लेकर दवा, दाना, पानी तक के लिए मरीज तरस रहे हैं। उनकी इस मजबूरियों का चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जमकर फायदा उठा रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी पर गौर करें तो ऐसे कर्मचारी परिजनों से धन उगाही कर रहे हैं। मरीजों तक वस्तुएं पहुंचाने के लिए रुपयों की मांग की जा रही है। कोरोना वार्ड ऐसे लोगों के लिए कमाई का जरिया बन गया है।