…तो कचहरी परिसर से ऐसे भगायेंगे कोरोना?


(धीरेन्द्र नाथ शर्मा)
वाराणसी (काशीवार्ता)। कचहरी दीवानी न्यायालय परिसर में केवल कागज पर सफाई और पूरे कचहरी को सेनेटाइज कराने की बात हो रही है जबकि सत्यता इससे कोसों दूर है। कचहरी से घर लौटकर गये दो अधिवक्ताओं में कोरोना का संक्रमण मिल चुका है और एक अधिवक्ता जो प्रतिदिन कचहरी आते थे उनका बेटा भी कोरोना संक्रमण का शिकार हो गया है। दो अधिवक्ताओं में कोरोना पॉजिटिव मिलने पर अधिवक्ताओं ने कम से कम 10 दिन कचहरी बंद कर देने की बात कही। जिसके लिये संयुक्त बार ने प्रस्ताव पास कर जिला जज के पास भेजा। जिला जज ने उस प्रस्ताव को हाइकोर्ट और एक कापी जिलाधिकारी को भेजा। लेकिन कचहरी को 10 दिन के लिये न बंद कर केवल 6 और 7 जुलाई को इस आदेश के साथ बंद किया कि पूरी कचहरी को सेनेटाइज कर कोरोना से बचाव के रास्ते अपनाने के बाद कचहरी खोली जायेगी। लेकिन न तो पूरी कचहरी सेनेटराइज हुई और न ही कोरोना से बचाव हेतु सुरक्षा के कोई उपाय किये गये। खानापूर्ति के नाम पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी आई, पूरी कचहरी सेनेटाइज हुई लेकिन केवल पानी की बौछार मारकर खानापूर्ति की गयी। कचहरी में सुरक्षा और सफाई का आलम यह है कि हर समय चहल-पहल वाले सीजेएम कोर्ट के आगे कुत्तों ने अपना ठिकाना बना रखा है, इसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है। न्यायिक अधिकारी अदालती काम से निवृत्त होकर पश्चिम दिशा से बने निकास के रास्ते से घर अथवा मीटिंग में जाने हेतु उसी रास्ते का प्रयोग करते हैं, इसलिए उन्हें इस बात का आभास ही नहीं हो पाता कि उनकी अदालत के ठीक सामने कुत्तों ने ठिकाना बना रखा है। खैर अब, जबकि बनारस मे कोरोना ने अपना उग्र रूप दिखलाना शुरू कर दिया है। ऐसे समय में भी जिलाधिकारी को कचहरी के विषय में जिला जज से समन्वय बनाकर सोमवार से पहले भीड़-भाड़ होने वाली जगह कचहरी, जहां 8 हजार अधिवक्ताओं के अलावा 5 से लेकर 10,000 हजार तक वादकारियों का आना जाना हो, के संबध में कोई ठोस निर्णय ले लेना चाहिए। नहीं तो कोरोना की रफ्तार जिस गति से बढ़ी है उससे कचहरी की स्थिती बिगड़ सकती है।