भ्रष्टाचार से त्रस्त कई ठेकेदार उठा चुके हैं आत्मघाती कदम


वाराणसी (काशीवार्ता)। पीएम मोदी ने जब देश की बागडोर संभाली तो भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ फेंकने का आह्वान किया था। इसका असर यह हुआ कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर अंबिका सिंह के कक्ष में एक ठेकेदार ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। अवधेश की कार से पुलिस को छह पन्नों का सुसाइड नोट मिला उसमें कई इंजीनियरों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाने के साथ चार करोड़ के बकाए का भुगतान न होने के कारण आत्महत्या करने की बात लिखी थी। इस घटना से एक दिन पूर्व लखनऊ में मुख्यमंत्री सचिवालय के सामने ठेकेदार वीरेन्द्र कुमार रस्तोगी ने मिट्टी का तेल उडेÞलकर आत्महत्या करने का प्रयास किया। यह मामला निर्माण निगम मथुरा का रहा जहाँ सीतापुर के ठेकेदार ने अभियंताओं पर आरोप लगाया कि निर्माण निगम मथुरा में शटरिंग का ठेका लिया परन्तु सुविधा शुल्क न दे पाने के कारण लगभग 40 लाख का भुगतान रोक दिया गया है। इस मामले की जानकारी मुख्यमंत्री से लेकर सभी बड़े अधिकारियों को देने के बाद भी कोई कार्रवाई न होने से क्षुब्ध होकर वीरेन्द्र ने 21 अगस्त को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आत्मदाह करने की सूचना भी दे दी थी। ऐसे ही पीडब्ल्यूडी के एक ठेकेदार राजेन्द्र यादव ने प्रदेश सरकार के एक बड़े मंत्री के नाम पर सुविधा शुल्क वसूले जाने का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी थी।
सरकार के प्रयास फेल, भ्रष्ट तंत्र हावी: सरकार ने ई-टेंडरिंग की जो व्यवस्था की है, उस पर भ्रष्ट तंत्र व इंजीनियरों के गठजोड़ के चलते सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद ठेकेदारों और अधिकारियों के बीच कमीशन का खेल बदस्तूर फल-फूल रहा है। इनका कॉकस इतना मजबूत हो चुका है कि इसने ई-टेंडरिंग का भी तोड़ निकाल लिया है। बताया जाता है कि प्रदेश में होने वाले सरकारी कामों में कमीशन खोरी अब 50 फीसदी तक पहुंच चुकी है। कई मामलों में तो यह 65 फीसदी भी होती है। यही कारण है कि अब ठेकेदार आजिज आ गये हैं। अभी कुछ दिनों पूर्व जल निगम के एक अधिकारी के कारनामे समाचार पत्रों में प्रकाश में आये परन्तु उनके खिलाफ कार्रवाई के नाम पर स्थानांतरण कर इतिश्री कर ली गई। जबकि उनके ऊपर भी आरोप रहा है कि वे अपने अधीनस्थ कर्मियों पर दबाव बनाकर अपने चहेतों को काम देने का हथकंडा अपनाते रहे हैं। साथ ही भुगतान के नाम पर सुविधा शुल्क की मांग की जाती रही। ठेकेदार द्वारा सुविधा शुल्क देने में असमर्थता व्यक्त करने पर लगभग डेढ़ वर्ष बाद भी प्रवासी भारतीय सम्मेलन का लगभग 20 लाख का भुगतान आज तक नहीं किया गया।
भुगतान न होने से सरकार को राजस्व की हो रही हानि: प्रवीण कुमार ने कहा कि मेरे द्वारा कराए गए कार्य का भुगतान न होने से सरकार को आयकर व जीएसटी का लाखों का नुकसान हो रहा है। यदि समय से भुगतान हो गया होता तो सरकार को भी राजस्व का लाभ मिलता।
कभी भी हो सकती है दुर्घटना: ठेकेदार प्रवीण कुमार ने लिखित रूप से अवगत कराया है कि भुगतान न होने व कर्ज बढ़ने से मेरी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। यदि मेरे साथ किसी प्रकार की दुर्घटना होती है तो इसके लिए पूर्ण रूप से विभागीय अधिकारी जिम्मेदार होंगे।

लाखों का भुगतान बाकी फिर भी कर्जदार

ऐसा ही एक मामला इन दिनों पीएम के संसदीय क्षेत्र में ग्रामीण अभियंत्रण विभाग का प्रकाश में आया है। आर एस इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर प्रवीण कुमार ने पत्र के माध्यम से अवगत कराया है कि आॅनलाइन निविदा संख्या 1269/एस.ई. आर.ई.डी./वाराणसी/18-19 दिनांक 13 दिसबर 2018 लागत 56 लाख का कौशल विकास केंद्र चोलापुर में निर्माण कार्य जून 2019 में पूर्ण कराया परन्तु आज तक भुगतान लंबित है। प्रवीण कुमार ने बताया कि कई महीने ग्रामीण अभियंत्रण विभाग व डीआरडीए में अधिकारियों से गुहार लगाने के बाद भी भुगतान न होने से इस बात की जानकारी मुख्य विकास अधिकारी को दी। उनके द्वारा 7 दिनों में भुगतान का आश्वासन दिए जाने के बाद लगभग डेढ़ माह से अधिक समय बीत जाने के उपरांत भी भुगतान नहीं हो सका है। प्रवीण कुमार ने बताया कि लगभग 34 लाख का भुगतान शेष होने के कारण सीसी खाते से 27 लाख कर्ज लेकर अपने ऊपर लदा कर्ज चुकाया है जिसका एक वर्ष में लगभग 3 लाख ब्याज का भुगतान करना पड़ा। कहाकि उक्त निविदा में मेरे द्वारा 5 लाख रुपये जमानती धनराशि भी जमा किया गया है जो भुगतान के एक वर्ष बाद विभाग द्वारा वापस किया जायेगा।