पचासों अधिवक्ता पुन: होंगे विस्थापित


(विधि संवाददाता)
वाराणसी (काशीवार्ता)। दीवानी कचहरी परिसर स्थित नये अदालत भवन का आगामी 20 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट के प्रशासनिक जज उद्घाटन करेंगे। इस निमित्त भवन की रंगाई पुताई व अन्य तैयारियां अंतिम चरण में है। पिछले दिनों जिला जज उमेश चन्द्र शर्मा ने मौके पर जाकर तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने भवन के चारों तरफ घूम कर निरीक्षण किया तो पाया कि बहुत सारे अधिवक्ताओं की चौकियां व चेम्बर भवन से बिल्कुल सटे हैं। मानक के अनुसार भवन के चारों तरफ चार-चार मीटर यानी लगभग 12 फुट का रास्ता होना चाहिए ताकि वादकारियों, अधिवक्ताओं या फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को आने जाने में असुविधा न हो। उन्होंने अधीनस्थों को मानक का पालन कराने का निर्देश दिया। अगर भवन के चारों तरफ चार मीटर की चौड़ाई में जगह खाली करायी गयी तो कम से कम 22 से 25 चौकियां हटानी पडेÞंगी। इससे कम से कम 50 अधिवक्ताओं को विस्थापित होना पडेÞगा। बनारस बार के अध्यक्ष मोहन सिंह यादव ने बताया कि उन्होंने जिला जज से आग्रह किया है कि विस्थापित होने वाले अधिवक्ताओं को पहले कहीं समायोजित किया जाय इसके बाद उनकी चौकियां हटायी जाय। ज्ञात हो कि भवन निर्माण के प्रारंभ में ही सवा दो सौ अधिवक्ताओं को चौकियां समेत हटाया गया था। उन्हें साइकिल स्टैंड के पास टिन शेड लगाकर अस्थायी तौर पर समायोजित किया गया था। परन्तु अभी तक उन्हें स्थायी ठौर नहीं मिल पाया है। ज्ञात हो कि स्थानाभाव के चलते कुछ साल पूर्व दीवानी कचहरी को शहर से दूर कहीं बडेÞ परिसर में स्थानान्तरित करने की योजना बनी थी। परन्तु अधिवक्ताओं के विरोध के चलते यह योजना परवान न चढ़ सकी। इसके पीछे अधिवक्ताओं का तर्क था कि इससे वादकारियों व अधिवक्ताओं को मुसीबत का सामना करना पडेÞगा। इसके बदले अधिवक्ताओं ने पड़ोस के बनारस क्लब व उद्यान विभाग को कचहरी परिसर में शामिल करने की मांग की। परन्तु यह मांग भी अभी तक नहीं मानी गयी। फलस्वरुप कचहरी में आबादी व भवनों की संख्या बढ़ने से इस समय पैदल चलना भी दूभर हो गया है। हर तरफ गंदगी का साम्राज्य है। जिससे वकील समुदाय संक्रमण के खतरे से हमेशा भयभीत रहते हैं। पिछले कुछ दिनों से अदालतों का बहिष्कार इसी भय का परिणाम है।